कांग्रेस: ‘हैल्पलाईन मैनेजमेंट’ करने में मोदी सरकार फेल 


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। आर्थिक पैकेज को लेकर कांग्रेस के तेवर अब बेहद तीखे हो गए हैं। कांग्रेस ने आर्थिक पैकेज पर केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की तीसरी प्रेस वार्ता के बाद प्रेस वार्ता कर तीखा हमला किया है। विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने मोदी सरकार के आर्थिक पैकेज को जुमला घोषणा पत्र करार दिया है।
पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार गरीबी को नहीं, गरीबों को मिटाने में जुटी है। इसकी वजह है कि मजदूर और किसानों को कर्ज बांटा जा रहा है। राहत के नाम पर उन्हें कुछ नहीं मिला है। उन्होंने साफ कहा कि भाजपा सरकार आर्थिक पैकेज के नाम पर लोगों को कर्ज के जंजाल में धकेल रही है।


कांग्रेस नेता ने कहा कि किसानों और मजदूरों को राहत के नाम पर फूटी कौड़ी भी मदद के नाम पर नहीं मिल पाई है। किसानों को उनकी रबी की फसलों के एमएसपी दाम मिलना तो दूर, उनकी फसलों की खरीदारी का भी काम नहीं हो पा रहा है।
सरकार कानून बनाने की तो बात करती है, लेकिन एमएसपी पर फसल खरीदने को तैयार नहीं है। कोरोना संकट में बाजार बंद हैं, ऐसे में किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। यूपी और मध्य प्रदेश में किसानों को एमएसपी के दाम नहीं मिल रहे हैं। फल, सब्जी पैदा करने वाले किसान भी सरकारी बेरुखी से परेशान हैं। देश में किसान इस समय  50,000 करोड़ का नुकसान झेल रहा है।


इसके साथ ही कांग्रेस ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर आर्थिक पैकेज पर झूठ बोलने और जनता को बरगलाने का आरोप लगाया। सुरजेवाला ने कहा कि सरकार बजट की योजनाओं को नए सिरे से पैकेज कर आर्थिक पैकेज में डाल रही है। बजट की स्कीमों को पैकेज के रूप में पेश करना अपराध है। पैकेज के नाम पर बजट की योजनाओं को गिनाएंगी तो इससे काम नहीं चलेगा। जनता को बरगलाने का काम निंदनीय है और उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।


उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री अपना काम भूलकर आरबीआई का काम करने में जुटी हैं। तीन दिन में वित्त मंत्री ने सिर्फ कर्ज बांटने का काम किया है। किसान और मजदूरों को इससे कुछ नहीं मिला है। एमएसपी के मुद्दे पर भी सरकार कोई हल नहीं निकाल पाई। अब नए आवश्यक वस्तु अधिनियम की चर्चा हो रही है।


सुरजेवाला ने कहा कि सरकार अपनी नीतियों से किसानों को ठगने का भी काम कर रही है। किसानों को प्रति हेक्टर फसल पर 15,000 का नुकसान हो रहा है। जहां उन्हें एमएसपी का उचित दाम नहीं मिल रहा है, वहीं लाखों किसान अभी भी पीएम किसान निधि योजना से बाहर हैं।


डीजल की बढ़े दामों ने भी किसान की कमर तोड़ दी है। यूरिया के कट्टे की कीमत वही, लेकिन कट्टे में पांच किलो कम कर दिया है। किसान बीमा योजना से किसानों की बजाए प्राइवेट कंपनियों का फायदा हो रहा है। सरकार ने कंपनियों को करीब 99,000 करोड़ का भुगतान किया, जबकि किसानों बीमा सिर्फ 52,000 करोड़ का मिला, इस तरह 26,000 हजार करोड़ कंपनियों ने बचा लिए। 


कांग्रेस प्रवक्ता ने आर्थिक पैकेज को नाम बड़े और दर्शन छोटे बताया। उन्होंने कहा कि 20 लाख करोड़ का पैकेज 13 जीरो साबित हुआ है। एक फूटी कोड़ी भी किसान की झोली में नहीं गई। एमएसएमई के मुद्दे पर भी कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सरकार के दावों की पोल खोल दी है।


सरकार को एमएसएमई के 5 लाख करोड़ देने हैं, जबकि सरकार अब 3 लाख का कर्ज देकर ब्याज कमाने की फ़िराक में है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि एमएसएमई कंपनियों को सैलरी सपोर्ट पैकेज देना चाहिए था ताकि करोड़ों लोगों की नौकरी को बचाया जा सके। 


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