जबलपुर : वे आज भी अपने छात्रों से कम्युनिकेट कर रहें हैं..


जबलपुर/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन।


जबलपुर के दिल में बसे और इस शहर को अपने दिल में बसाए डॉ. जेएस मूर्ति सर का आज 83 वाँ जन्मदिन है ......आज ही के दिन 20 जून 1937 को कर्नाटक के तुमकुर जिले में जन्मे जेएस मूर्ति सर किशोरावस्था में ही जबलपुर आ गए थे और यहीं के हो कर रह गए थे...


पिछली दिवाली को वे चल बसे। पर वे आज भी अपने छात्रों से कम्युनिकेट कर रहें हैं... बरसों पहले इस शहर में आकर वे बस गए थे और चुपके से शहर उनमें। वे जबलपुर छोड़ना नहीं चाहते थे, पर उन्हें जबलपुर छोड़ना पड़ा।


16 बरस के जेम्स सुंदर मूर्ति धर्म-शास्त्र की पढ़ाई के लिए सन 1954 में कर्नाटक के छोटे-से जिले तुमकुर से जबलपुर आए थे। पिता किश्चियन मिशनरी थे और बेटे को भी इसी राह में डालना चाहते थे। वे बेहद धर्म-परायण थे। उनकी न केवल अपने धर्म में अगाध आस्था थी, वरन वे अन्य धर्मों का भी उतना ही सम्मान करते थे। अजातशत्रु। कथाकार-सम्पादक ज्ञानरंजन उन्हें दिव्यलोक का मनुष्य कहते थे। जबलपुर स्टेशन में जब उतरे तो उन्हें लियोनार्ड थियोलॉजिकल कॉलेज जाना था, पर तब वे सिर्फ कन्नड़ जानते थे। पता नहीं उन्होंने रिक्शेवाले से क्या कहा और यह भी नहीं मालूम कि उसने क्या समझा! भाषा की दिक्कत की वजह से रास्ते में भी कोई मदद नहीं मिली। वे कोई 3 घण्टों तक यहाँ-वहाँ भटकते रहे, जबकि स्टेशन से कॉलेज पहुँचने में फकत 10 मिनट लगते होंगे। एक रिक्शेवाले तक अपनी बात को कम्युनिकेट न कर पाने वाला यह शख़्स आगे चलकर मॉस- कम्युनिकेशन का प्रोफेसर बना और बड़े-बड़े धुरंधरों ने उनकी शागिर्दी की। सभाओं-संगोष्ठियों का संचालन किया और नामी नेताओं, अभिनेताओं, कलाकारों के साथ मंच साझा किया। एक सभा में वे मोहम्मद रफी से मुखातिब थे। पूछा कि आपकी आवाज में इतनी गहराई और दार्शनिकता का तत्व कहाँ से आता है? मो. रफी ने कुछ कहा नहीं। दोनों हाथ उठाकर आसमां की ओर फैला दिए। विशाल सभागार तालियों की गूँज से गड़गड़ा उठा।


मूर्ति साहब कहते थे कि बात बिना बोले भी कही जा सकती है और बहुत जरूरी हो तो थोड़े में बोलना चाहिए। इस संदर्भ में वे किसी अमेरिकी सीनेटर से जुड़े एक वाकये का जिक्र करते थे। सीनेटर महोदय को किसी सभा में व्याख्यान करना था। बोलने का मौका आया तो जैसा कि आमतौर पर होता है, वे अपनी रौ में बहते चले गए। उनकी पत्नी ने एक किशोर उम्र बालक को इशारे से अपनी ओर बुलाया और एक पर्ची में कलम से सिर्फ एक शब्द घसीट कर उसे थमा दिया। बालक बेचारा हड़बड़ा उठा। चिट में लिखा था-"Kiss", पर चूँकि आदेश था, सो हुक्म की तामील हुई। सीनेटर साहब ने जैसे ही पर्चा देखा, हड़बड़ाकर अपना व्याख्यान समेट लिया। मूर्ति साहब राज खोलते हुए कहते कि 'Kiss' का आशय था-"Keep it short stupid!"


ख्यात रंग समीक्षक एवं लेखक दिनेश चौधरी द्वारा लिखित एक आलेख के माध्यम से समस्त जबलपुर अपने सर्वाधिक प्रिय जेम्स सुंदर मूर्ति को अपनी भावांजलि अर्पित करता है


Post a Comment

أحدث أقدم