नई दिल्ली। नि:संदेह अमेरिका महाशक्ति है और आजादी के समय तो हमारी बिसात उसके सामने बहुत कम थी। लिहाजा आजादी के सात दशक बाद अब तक सिर्फ सात अमेरिकी राष्ट्राध्यक्षों ने भारत का दौरा किया है। हर दशक में एक राष्ट्रपति के दौरे का औसत बैठता है जबकि भारतीय खेमे की तरफ से प्रधानमंत्रियों के अब तक 30 दौरे हो चुके हैं। गुजरे सात दशक में नौ भारतीय प्रधानमंत्रियों ने अमेरिका का दौरा किया। आठ दौरों के साथ मनमोहन सिंह शीर्ष पर हैं।
हालांकि वैश्विक परिदृश्य में भारत के उभार के बाद ये पासंग कम होता दिख रहा है। 2000 में बिल क्लिंटन के दौरे के बाद दोनों देशों के रिश्तों में काफी नजदीकी आई। रिश्ते मधुर रखने की अनिवार्यता अब दोतरफा हो चुकी लगती है। दक्षिण एशिया के सामरिक संतुलन के लिए अगर भारत अमेरिका की जरूरत बन गया है तो आधुनिक सैन्य रक्षा सहित तकनीकी के लिए अमेरिकी जरूरत भारत शिद्दत से महसूस करता है। भारतीय प्रधानमंत्रियों के अब तक के अमेरिकी दौरों पर पेश है एक नजर:
भारतीय प्रधानमंत्रियों का अमेरिकी दौरा
जवाहर लाल नेहरू : 1949 में 11-15 अक्टूबर तक पहली यात्रा की। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव और सीनेट सदस्यों से वार्ता की। राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन से उनकी वार्ता असफल रही, क्योंकि उन्होंने किसी भी प्रकार की मदद से इन्कार कर दिया। दूसरा दौरा 1956 में 16-20 दिसंबर के बीच किया। डेढ़ दिन राष्ट्रपति आइजनऑवर के फॉर्म हाउस पर बिताया। वार्ता सफल रही। अमेरिका ने भारत को दी जाने वाली आर्थिक मदद को बढ़ाकर हर साल 822 मिलियन डॉलर कर दिया। तीसरी यात्रा 26 सितंबर 1960 और चौथी नवंबर 1961 में की।
इंदिरा गांधी: पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में 27 मार्च 1966 को अमेरिका गर्इं। उस समय लिंडन जॉनसन अमेरिका के राष्टपति थे। तब भारत की अनाज के लिए अमेरिका पर निर्भरता थी। उन्होंने अमेरिकी नीतियों के समर्थन के बदले सहायता लेने से इन्कार कर दिया। दूसरी और तीसरी बार क्रमश: 14 अक्टूबर 1968 और 1970 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को संबोधित करने गई थीं।
मोरारजी देसाई : जून 1978 में यूएन आमसभा में शामिल होने गए थे।
राजीव गांधी : पहली बार 22 अक्टूबर 1985 को अमेरिका गए। न्यूयार्क सिटी में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन से मुलाकात की। दूसरी बार अक्टूबर 1987 और तीसरी बार जून 1988 में यूएन आमसभा में शामिल होने पहुंचे।
पीवी नरसिंह राव: पहली बार जनवरी 1992 में यूएन सुरक्षा परिषद की बैठक में शामिल होने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने जॉर्ज डब्ल्यू बुश से मुलाकात की। दूसरी बार मई 1994 में सरकारी यात्रा पर गए थे। तीसरी बार अक्टूबर 1995 में यूएन आमसभा में शामिल हुए।
इंद्र कुमार गुजराल: सितंबर 1997 में यूएन आमसभा में शामिल होने के लिए पहुंचे। वहां उन्होंने राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से मुलाकात की।
अटल बिहारी वाजयेपी: पहली बार 22 सितंबर को यूएन आमसभा में शामिल हुए। दूसरी बार सितंबर 2000 में अमेरिका गए। वहां उन्होंने 106वीं कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। ऐसा करने वाले किसी भी दूसरे देश के पहले नेता बने। तीसरी बार नवंबर 2001 और चौथी बार सितंबर 2002 में यूएन आमसभा में शामिल होने न्यूयार्क पहुंचे।
डॉ. मनमोहन सिंह : डॉ. मनमोहन सिंह ने आठ बार यात्रा की है। सितंबर 2004 में वह पहली बार यूएन आमसभा में शामिल होने पहुंचे। जुलाई 2005 में सरकारी यात्रा पर वाशिंगटन डीसी गए। तीसरी बार सितंबर 2005, चौथी बार सितंबर 2008 में यूएन आमसभा में शामिल हुए। पांचवीं बार नवंबर 2008 में जी-20 के वाशिंगटन सम्मेलन में भाग लेने के लिए गए। छठी बार सितंबर 2009 में जी-20 सम्मेलन, सातवीं बार वाशिंगटन और आठवीं बार 2010 में परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने गए।
मोदी-ट्रंप की आठवीं मुलाकात : मई 2014 में देश की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सात मुलाकातें हो चुकी हैं। अहमदाबाद में दोनों नेता एक दूसरे से आठवीं बार मिलेंगे। पहली बार जून 2017 में मोदी ने वाशिंगटन की यात्रा की। इस दौरान द्विपक्षीय समझौते हुए। निवेश समेत कई मुद्दों पर बात की। दूसरी बार दोनों नेताओं की मुलाकात इसी साल नवंबर में मनीला में आयोजित आसियान (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशन)सम्मेलन में हुई। नवंबर 2018 में ब्यूनर्स आयर्स में आयोजित जी-20 सम्मेलन से अलग दोनों नेता एक बार फिर मिले। चौथी बार ओसाका में आयोजित जी-20 सम्मेलन के बाहर मुलाकात हुई। अगस्त 2019 में फ्रांस में आयोजित जी-7 में पांचवी मुलाकात हुई। सबसे यादगार मुलाकात सितंबर 2019 में ह्यूस्टन व न्यूयार्क में हुई। ह्यूस्टन में आयोजित हाउडी मोदी कार्यक्रम ऐतिहासिक रहा।
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