आजीविका का साधन बन जाने से आत्मनिर्भर हुईं विनीता

जबलपुर।  छोटी-छोटी बचत करके स्वसहायता समूह से जुड़ने के कारण आजीविका का साधन बन जाने से विनीता पटेल अब आत्मनिर्भर हो गई हैं। पहले विनीता के पति देवी प्रसाद को परिवार के भरण-पोषण के लिए मजदूरी करना पड़ती थी।
    जिले के पाटन विकासखण्ड के ग्राम उड़ना की विनीता पटेल के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उनके पति मजदूरी करते थे। विनीता उड़ना ग्राम के शिव आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़कर छोटी-छोटी बचत करने लगी। विनीता ने अपने समूह की चक्रीय राशि से 10 हजार रूपए लेकर चाय और पैक्ड खाद्य सामग्री का व्यवसाय शुरू किया। यह व्यवसाय चल पड़ा। अब इससे विनीता को हर माह चार से पांच हजार रूपए तक आमदनी होने लगी है। आजीविका का साधन बन जाने से विनीता आत्मनिर्भर हो गई हैं। विनीता पटेल को अब अपने घर का खर्च चलाना आसान हो गया है। उनके परिवार में खुशहाली आई है।
    विनीता कहती हैं कि मप्र सरकार ने गरीब महिलाओं की आर्थिक उन्नति के लिए आजीविका मिशन के माध्यम से मदद की जा रही है, वह सराहनीय है।  


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