सख्त ट्रैफिक नियम: शराब पीकर साइकिल चलाने वालों को होती है जेल


जापान। अपने नागरिकों की सुरक्षा और ट्रैफिक समस्याओं से बचने के लिए हर देश ट्रैफिक नियम बनाता है, जिन्हें हर हाल में मानना होता है। इन नियमों को न मानने वाले का चालान काटकर उससे जुर्माना वसूला जाता है। ज्यादातर देशों में मोटर वाहनों के लिए तो ये नियम लागू होते हैं, लेकिन साइकिल चलाने वालों के लिए इनमें छूट दी जाती है।


उनसे न तो साइकिल के पेपर मांगे जाते, न ड्राइविंग लाइसेंस और ना ही अन्य किसी प्रकार का कोई कागज मांगा जाता है। इसीलिए लोग साइकिल पर मस्ती से कहीं भी घूम सकते हैं, लेकिन जापान एक ऐसा देश है जहां साइकिल चलाने के लिए भी कुछ नियम बनाए गए हैं। जापान की तकनीकी यहां की तरक्की को और बढ़ा देती है। जापान दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक माना जाता है. क्योंकि यहां अपराधियों के लिए कड़े कानून लागू किए गए हैं।
जिससे कोई भी अपराधी बच नहीं पाता. इसी के चलते साल 2018 में ग्लोबल पीस इंडेक्स की सूची में जापान नौवें स्थान पर रहा। आइसलैंड इस सूची में पहले स्थान पर था। इस सूची में लैटिन अमेरिकी देश चिली 28वें नंबर पर था।


जापान की सुरक्षा इस बात से जानी जा सकती है कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक यहां साल 2018 में ड्रग्स और क्राइम से जुड़े एक लाख मामलों में सिर्फ 0.28 दर से हत्याओं की वारदात हुई।वहीं दूसरी ओर ब्राजील में साल 2017 में यह दर 30.8 थी. जापान में सुरक्षा के इतने कड़े इंतजामों के पीछे पुलिस की हथियारों और अपराधों को लेकर जीरो टॉलरेस पॉलिसी है, ये तमाम नियम कानून 200 साल पुराने हैं। जापान में इसे कोबेन कहा जाता है. एक कोबेन में दो से तीन पुलिस वाले रहते हैं। उनका काम होता है लोगों को सुरक्षा से जुड़ी जानकारी देना। अगर किसी नागरिक का कोई सामान गायब हो जाए तो वो कोबेन में इसकी शिकायत कर सकता है। ये पुलिस समाज को सेवा देने का काम करती है। पूरे जापान में 6,600 कोबेन हैं।


यही नहीं जापान में साइकिल चालकों के लिए भी कानून बनाए गए हैं। यहां शराब पीकर साइकिल चलाने वालों को जुर्माना और कारावास की सजा होती है। अगर कोई व्यक्ति हेडफोन लगाकर साइकिल चला रहा है, या फिर अपने सेल फोन के साथ काम कर रहा है या फिर साइकिल चलाते वक्त छाता ले जा रहा है तो वो भी कानून जुर्म है। यही नहीं जापान के नागरिक भी इस कानून व्यवस्था का पालन करने में आगे रहते हैं।


यहां के कई घरों और दुकानों में एक स्टिकर लगा होता है जिस पर लिखा होता है 'कोडोमो 110 बैन इन द ले', जिसका मतलब है कि जो बच्चे खतरे में हों वो इस जगह को शेल्टर होम की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही प्राथमिक शिक्षा के शुरुआती छह सालों में छात्र एक अलार्म ले जाते हैं जिसे वे खतरनाक स्थिति में बजा सकते हैं।


जापान में सबसे कम बंदूकों का इस्तेमाल किया जाता है, यहां साल 2017 में 22 अपराधों में बंदूक का इस्तेमाल किया गया, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी। इस दौरान अमेरिका में 15,612 लोगों की मौत बंदूक से हुई थी। अपराध के कम आंकड़ों के पीछे एक बड़ी वजह है जापान की शिक्षा व्यवस्था भी है। यहां बच्चों को बचपन में ही ये सिखाया जाता है कि जो चीज उनकी नहीं है उसे रखना अपराध होता है। यही नहीं जापान में वाहन चालक भी कड़े कानूनों का पालन करते हैं। जापान में दुर्घटनाओं पर अक्सर कड़ी सजा दी जाती है। यहां शराब पीकर गाड़ी चलाने पर जेल की सजा होती है।


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