कांग्रेस ने यूपी में लगाए पोस्टर,सीएम योगी, मौर्य, साध्वी प्रज्ञा को बताया गया दंगा आरोपी


लखनऊ | लखनऊ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कई जगहों पर यह पोस्टर लगाए हैं। (क्रेडिट- फेसबुक)
उत्तर प्रदेश में पोस्टर विवाद के बीच अब कांग्रेस भी कूद गई है। पार्टी ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, साध्वी प्रज्ञा समेत अन्य भाजपा नेताओं के पोस्टर लगाए हैं और सभी को दंगों का आरोपी बताया है। पोस्टर में लिखा है कि अजय सिंह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ पर लोकसभा चुनाव के हलफनामे के अनुसार गोरखपुर दंगे का मुख्य आरोपी बताया गया है। साथ ही उन पर 5 गंभीर मामले दर्ज हैं। पोस्टर के एक तरफ डिप्टी सीएम की फोटो है और इसमें लिखा है- लोकसभा चुनाव हलफनामे के अनुसार दंगा सहित 11 मुकदमे कौशाम्बी में दर्ज।


पोस्टर में नीचे की तरफ 6 अन्य भाजपा नेताओं के नाम दिए गए हैं। इनमें राधा मोहन दास अग्रवाल, विधायक संगीत सोम, सांसद संजीव बाल्यान, विधायक उमेश मलिक, यूपी सरकार में मंत्री सुरेश राणा और साध्वी प्रज्ञा की फोटो हैं। इन सभी को गोरखपुर, मुज्जफरपुर में हुए दंगों का आरोपी बताया गया है।


पोस्टर के बीच में ही आरोप लगाए गए हैं कि इन नेताओं पर धारा 147 के तहत उपद्रव करने, धारा 148 के तहत घातक हथियार से सज्जित होकर उपद्रव करने, धारा 295 के तहत किसी धर्म का अपमान और धर्मस्थल के क्षति पहुंचाने, धारा 153- दंगा भड़काने और धारा 302 के तहत हत्या करने के आरोप हैं। पोस्टर की शुरुआत में ही बड़े अक्षरों में पूछा गया है- जनता मांगे जवाब, इन दंगाईयों से वसूली कब?


बताया गया है कि यह पोस्टर कांग्रेस कार्यकर्ता सुधांशु बाजपेयी और लालू कनौजिया ने लगाए हैं। दोनों के नाम भी पोस्टर के नीचे छापे गए हैं। यह पोस्टर उन्हीं जगहों के पास लगाए गए हैं, जहां सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के पोस्टर लगाए हैं।


इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को सीएए विरोधी हिंसा के आरोपियों के पोस्टर को हटाने का आदेश दिया था। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली BJP सरकार दंगाइयों से वसूली के लिए कानून ले आई। शुक्रवार (13 मार्च) को योगी कैबिनेट ने UP Recovery of Damage to Public Properties Ordinance-2020 को मंजूरी दे दी।


यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के बाद आया था, जिसमें देश की सबसे बड़ी अदालत ने गुरुवार को प्रदेश सरकार से कहा था कि कोई भी ऐसा कानून नहीं है, जिसके तहत सड़क किनारे लगाए गए पोस्टरों (सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ करने वालों की फोटो वाले) को जायज ठहराया जा सके।


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