कमलनाथ सरकार के लिए कोरोना वायरस जीवन दायक साबित, 26 मार्च तक विधानसभा स्थगित



नई दिल्ली। दुनिया में बेशक कोरोना वायरस कोविड 19 मौत का भयानक तांडव मचा रहा हो, मगर मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के लिए ये वायरस जीवन दायक साबित हुआ है। फ्लोर टेस्ट के दिन कुछ ही मिनट पहले विधान सभा अध्यक्ष लालजी टंडन ने कोरोना के वायरस से खौफ को देखते हुए फिलहाल 26 मार्च तक विधानसभा को स्थगित कर दिया है।


रात भर से जारी हाई वोल्टेड सियासी ड्रामा फ्लोर टेस्ट से पहले ही फुस्स 
सोमवार को मध्य प्रदेश का हाई वोल्टेज सियासी ड्रामा आखिर कार एक नाटकीय अंदाज़ में फुस्स हो गया। फ्लोर टेस्ट के कुछ ही मिनट पहले विधानसभा अध्यक्ष लालजी टंडन ने कोरोना के खतरे को देखते हुए विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया। गौरतलब है कि इससे पहले भी बागी विधायकों से किसी तरह बात करने की कोशिशों में लगे सत्ता पक्ष ने कोरोना टेस्ट के नाम पर बागी विधायकों की स्क्रीनिंग का प्रस्ताव दिया था। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने कहा था कि, 'राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा की गई कि हमारे विधायक जो जयपुर से आए हैं, उनका चिकित्सकीय परीक्षण किया जाना चाहिए। साथ ही हरियाणा और बेंगलुरु में रहने वाले विधायकों का भी चिकित्सकीय परीक्षण किया जाना चाहिए.' पीसी शर्मा ने कहा कि भोपाल लौटे सभी विधायकों का कोरोना वायरस का टेस्ट होगा।


काम नहीं आई स्क्रीनिंग के नाम पर विधायकों से मुलाकात
मगर जाहिर है, विधायकों के स्क्रीनिंग के नाम पर उनसे बातचीत किसी अंजाम तक नहीं पहुंच सकी। फ्लोर टेस्ट में कमलनाथ सरकार के गिर जाने की पूरी-पूरी संभावना थी। लिहाजा कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए एक बार फिर कोरोना वायरस की ढाल को ही आगे बढ़ा दिया गया। इस दफा विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा सदस्यों और पूरे मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों की सेहत का हवाला देते हुए कोरोना वायरस से बचने के लिए 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया है।


भाजपा नेताओं ने की हाथ उठाकर मतदान की मांग
गौरतलब है कि मत विभाजन के लिए पहले बटन दबाकर ही मददान की मांग की गई थी। मगर भाजपा नेताओं ने बताया कि विधानसभा का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम काम ही नहीं कर रहा है, लिहाजा राज्यपाल लालजी टंडन ने आदेश दिया कि मतदान सिर्फ हाथ उठाने कर ही कराया जाएगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास सुबह ही राज्यपाल के हाथ उठाकर मतदान करवाने के निर्देश पहुंच गये थे। 


सोमवार को फ्लोर टेस्ट पर पहले से ही शक था
पूरे देश की निगाहें सोमवार को मध्य प्रदेश की विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट पर लगी हुई थी। मगर राज्यपाल शायद पहले से ही इस कदम के बारे में सोच चुके थे। यहां तक कि पूरे देश की निगाहें सोमवार की सुबह मध्य प्रदेश की विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट पर लगी हुई थी। मगर विधानसभा की कार्यसूची में आज फ्लोर टेस्ट का जिक्र तक नहीं था। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गोपाल भार्गव  कांग्रेस पर प्लोर टेस्ट से भागने का आरोप लगा चुके थे 


कांग्रेस फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार, मगर कहां हैं हमारे 16 विधायक
कांग्रेस प्रवक्ता और मंत्री पीसी शर्मा ने कांग्रेस के 16 विधायकों के गायब होने के कारण फ्लोर टेस्ट पर सवाल उठाए थे।सिंधिया गुट के 16 बागी विधायकों ने स्पीकर को अपने इस्तीफे भेजे थे। इन विधायकों ने व्यक्तिगत तौर पर मिलने में असमर्थता जाहिर करते हुए छह विधायकों जो सरकार में मंत्री भी हैं उनके इस्तीफे स्वीकार किए जा चुके हैं तो इन सबके इस्तीफे भी स्वीकार किए जाने चाहिए।


सूबे में कानून व्यवस्था बेहद खराब, व्यक्तिगत तौर पर मिलना मुमकिन नहीं
बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति को खत लिखकर लगभग एक जैसी इबारत में कहा है कि 'प्रदेश में खराब कानून व्यवस्था और अनिश्चितता के वातावरण में स्वयं प्रत्यक्ष उपस्थित होकर आपसे मिलना संभव नहीं है। लिहाजा जिस तरह कल 14 मार्च 2020 को आपने छह विधायकों के त्याग पत्र स्वीकृत किए उसी प्रकार मेरा भी त्याग पत्र स्वीकृत करने की कृपा करें।'


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