मध्य प्रदेश: अब कमलनाथ सरकार या कमल सरकार


भोपाल । मध्य प्रदेश की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में दो सीट खाली हैं। इस लिहाज से 228 सीटों में बहुमत के लिए 115 विधायक चाहिए। 114 सीट जीत कर कांग्रेस चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा के विधायकों के समर्थन से 2018 में सत्ता में आई थी। भाजपा 107 विधायक ही जिता पाई थी। 


सिंधिया पर भाजपा के दांव के बाद कच्चे धागे पर टिकी कमलनाथ सरकार


इस्तीफा दे चुके 22 विधायकों को हटा दें तो सरकार के पास मुख्यमंत्री को मिलाकर 92 विधायक रह जाते हैं और सदन की संख्या घट कर 206 हो जाती है। ऐसे में बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी। निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों को साथ लेने के बाद भी कांग्रेस 99 के आंकड़े पर अटक जाती है। ऐसे में 107 विधायकों के साथ भाजपा सत्ता की दावेदार बन गई है।


सियासी संभावनाएं
- भाजपा कमलनाथ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर फ्लोर टेस्ट करवाए। बहुमत साबित नहीं कर पाने पर सरकार गिर सकती है।
- कांग्रेस खेमा भाजपा में तोडफ़ोड़ कर कुछ विधायकों का इस्तीफा करवा दे या फिर फ्लोर टेस्ट के दौरान कुछ को सदन से गैरहाजिर रहने के लिए मना ले।
- 16 मार्च से शुरू हो रहे राज्य विधानसभा के बजट सत्र में सत्ता पक्ष अगर राज्यपाल का अभिभाषण प्रस्ताव पारित नहीं करा सकी तो नैतिक आधार पर सरकार का गिरना तय।
- सरकार न बचा पाने की स्थिति में मुख्यमंत्री कमलनाथ इस्तीफा देकर कर विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं। लेकिन सिफारिश को मानना न मानना राज्यपाल पर निर्भर करेगा।
- फ्लोर टेस्ट के वक्त विधानसभा अध्यक्ष के हाथ में बहुत कुछ होता है। रणनीतिक तरीके से वे सरकार को बचाने में मदद दे सकते हैं।


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