मध्य प्रदेश: भाजपा के लिए आसान नहीं हैं सत्ता हासिल करना

                                             


नई दिल्ली। ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। इस बीच मध्‍य प्रदेश में सियासी तूफान के बीच भाजपा के लिए सत्ता हासिल करना आसान नहीं होगा। इसकी वजह है कि सिंधिया खेमे के कांग्रेसी विधायक और भाजपा के विधायक भी मोल-भाव में जुट गए हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस भी भाजपा के कई विधायकों को संपर्क में हैं। ये विधायक भी भाजपा के खेल बिगाड़ सकते हैं और कांग्रेस को जीवनदान का काम कर सकते हैं।


खुद कांग्रेस भी सिंधिया खेमे के विधायकों को मनाने में जुटी है। इस वजह से भाजपा और कांग्रेस की ओर से विधायकों को विभिन्न होटलों में निगरानी में रखा जा रहा है। चौंकाने वाली खबर यह भी है कि सिंधिया खेमे के करीब 12 विधायकों ने भाजपा में जाने से इनकार कर दिया है। इससे भाजपा के खेमे में हड़कंप मच गया है। वहीं, कांग्रेस में राहत की सांस ली जा रही है।


बता दें कि सिंधिया समर्थक 19 विधायक इस समय बेंगलुरु के होटल में हैं। खास बात यह है कि अभी तक इन्हें मीडिया के सामने पेश नहीं किया गया है। हालांकि इसके इस्तीफे की खबर फोटो के जरिए सोशल मीडिया में छाई हुई है। इस वजह से भी सभी विधायकों के रुख साफ नहीं हो पाए हैं। माना जा रहा है कि सिंधिया समर्थक कई विधायक भाजपा में जाने को तैयार नहीं है। उन्हें लगता था कि सिंधिया अपनी पार्टी बनाकर मध्य प्रदेश की सियासत के लिए काम करेंगे, लेकिन अब उन्हें केंद्र की मोदी सरकार में भेजने से विधायक असमंजस में पड़ गए हैं।


इस बीच, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी अपना रूख साफ करते हुए कहा है कि उनकी सरकार सिंधिया के जाने के बाद भी बनी रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि भाजपा के कुछ असंतुष्ट विधायक भी उनके संपर्क में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा में वह बहुमत साबित कर देंगे। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने उनके विधायकों को बंधक बनाया हुआ है। पार्टी ने दलील दी कि अगर विधायक कांग्रेस से नाराज हैं तो उन्हें मीडिया के सामने क्यों नहीं लाया जा रहा है।


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