न्यूयॉर्क। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच शोधकर्ताओं ने कहा है कि वायरस से बच्चों पर पड़ने वाले असर को समझकर ही इस वायरस के मॉडल को सही तरह से जाना जा सकता है। ऐसा होने से इसका प्रसार रोकना और सही इलाज दे पाना संभव होगा। जर्नल पीडियाट्रिक्स में शोधकर्ता एल. जीशनर और एंड्रिया टी. क्रूज का कहना है कि वायरस से प्रभावित बच्चों में से कुछ की स्थिति गंभीर है। शोधकर्ताओं ने कहा, 'संक्रमण वाली कई बीमारियां बड़ों के मुकाबले बच्चों को अलग तरह से प्रभावित करती हैं। इस अंतर को समझना बेहद अहम हो सकता है।'
वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले से किसी बीमारी के शिकार बच्चों में कोरोना के संक्रमण की आशंका ज्यादा रहती है। ऐसे बच्चों में कोरोना वायरस के प्रभाव को समझना भी मुश्किल होता है। ऐसे बच्चे जिनमें बिना किसी लक्षण के वायरस का संक्रमण है, उनसे किसी और में वायरस के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों के मामले में ज्यादा सतर्कता जरूरी है। प्रयास होना चाहिए कि बच्चों को परिवार के उन सदस्यों से दूर रखा जाए, जिनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा है, जैसे बुजुर्गों या बीमार लोगों से।
इस बीच पूरी दुनिया में वैज्ञानिक कोरोना वायरस की दवा विकसित करने में लगे हैं। अमेरिका वायरस से बचाव के लिए टीके के परीक्षण के चरण में पहुंच गया है। वहीं चीन के अधिकारी का दावा है कि जापानी कंपनी फ्यूजीफिल्म (Fujifilms) की Avigan एंटी फ्लू ड्रग (Anti Flu Drug for Coronavirus patient) कोरोना वायरस के मरीजों पर कारगर साबित हो रही है। चीनी अधिकारी के इस बयान के सामने आने के बाद ही कंपनी के शेयरों में 15.4 फीसद से ज्यादा का उछाल दर्ज किया गया है। मामलूम हो कि जापान ने 2014 में ही इस दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी।
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