‘चिट्ठी ना कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गए...’
नई दिल्ली/ अक्षर सत्ता। नेपाल की सरहद पर तैनात फौजी पिता को जब छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में मासूम बेटे की आखिरी सांस लेने की खबर मिली तो बीच में मीलों का फांसला था... फर्ज था... लॉक डाऊन था...। आंसुओं से रूंदे गले से अभागे पिता राजकुमार के मुंह से ये ही निकला की शायद जिंदगी भर ये मलाल रहेगा कि अपने मासूम को आखिरी बार जी भर कर प्यार तक नहीं कर पाया।
वीडियो कॉल पर ही कहा दुधमुंहे बच्चे को अलविदा
‘तमाम उम्र मेरा दम इसी धुंए में घुटा, वो इक चिराग था मैने उसे बुझाया है...’ बिलखते हुए फौजी पिता ने आंसुओं से अंधी आंखों से वीडियो कॉल में अपने बेटे की आखिरी यात्रा को सैंकड़ों मीलों की दूरी से देखा, मगर इस यात्रा में शामिल नहीं हो पाए। वीडियो कॉल पर आंखे मूंदे लेटे नन्हे-मुन्ने को देखकर मुंह से बस यही निकला, ‘लव यू आदित्य बेटा...।‘ ये दर्दनाक मंजर देखकर वहां पर मौजूद हर शख्स की आंखों से आंसू उमड़ पड़े।
कुछ महीनों से ट्यूमर से पीड़ित था मासूम आदित्य
घोटपाल गांव के राजकुमार नेताम सीमा सुरक्षा बल में हवलदार पद पर नेपाल बॉर्डर पर तैनात हैं। 14 सालों तक परिवार से दूर रहकर ड्यूटी पर रहे राजकुमार की दो बेटियों के बाद एक बेटा आदित्य था। कुछ महीने से आदित्य ट्यूमर की दिक्कत से जूझ रहा था। जनवरी में इलाज के लिए राजकुमार आकर उसे दिखाने के लिए हैदराबाद ले गए थे।
तबियत बिगड़ी तो घर आने की इजाजत तक नहीं मिल पाई
आदित्य की तबियत कुछ सुधरी। राजकुमार वापस अपने फर्ज पर रवाना हो गए। मगर बुधवार को उसकी तबियत अचानक फिर बिगड़नी शुरु हो गई। जिला अस्पताल लाया गया, मगर उसे बचाया नहीं जा सका। राजकुमार ने खबर मिलने के बाद घर आने की काफी कोशिश की, मगर इजाजत नहीं मिल सकी।
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