250 की टेस्ट किट आईसीएमआर को 600 में बेची, डिस्ट्रीब्यूटर-आयातक पर मुनाफाखोरी करने का आरोप


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता। चीन से मंगाई गई कोरोना रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट पहले गुणवत्ता को लेकर, अब कीमतों को लेकर विवादों में आ गई है। चीन से 245 रुपये में खरीदी गई टेस्ट किट भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को 600 रुपये में मिली है। यानि करीब 145 फीसद की मुनाफाखोरी की गई। कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ जब देश एक बड़ी महामारी से लड़ रहा है तो दूसरी तरफ मुनाफाखोरी का इतना बड़ा खेल खेला जा रहा है।


मेटाबोलिक्स ने मैट्रिक्स लैब्स से किटें खरीद आईसीएमआर को बेची
देश में कोरोना रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट की एकमात्र डिस्ट्रीब्यूटर कंपनी रेयर मेटाबोलिक्स ने आयातक मैट्रिक्स लैब्स से ये किटें खरीद कर आईसीएमआर को बेचा है। मैट्रिक्स लैब्स ने इन किट्स को चीन के वोंडफो बायोटेक कंपनी से आयात किया है। आईसीएमआर ने पांच लाख टेस्ट किट्स का ऑर्डर दिया। इसमें से ढाई लाख के करीब किट वह ले चुका है। लेकिन इस बीच किटों में खामियां होने की शिकायत कई राज्यों से मिली तो आईसीएमआर ने बाकी किटें लेने के बजाए इसकी जांच शुरू कर दी।


कोर्ट ने 33 फीसद की कटौती कर 400 रुपये में बेचने का दिया आदेश 
इसी बीच दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई, जिस पर कोर्ट ने किट की कीमतों में 33 फीसद की कटौती कर 400 रुपये में बेचने का आदेश दिया। इस कीमत पर भी डिस्ट्रब्यूटर को 61 फीसद का मुनाफा है। कोर्ट ने इसे पर्याप्त बताया। इधर, आयातक, डिस्ट्रब्यूटर और आईसीएमआर के बीच भी विवाद बन गया। आयातक मैट्रिक्स लैब ने 2.24 लाख किट आईसीएमआर को नहीं भेजा। उसका कहना है कि उसे कुल लागत 21 करोड़ में से केवल 12.75 करोड़ रुपये ही अब तक भुगतान किया गया। उसने पहले 8.25 करोड़ रुपये के भुगतान की बात कही है। डिस्ट्रीब्यूटर रेयर मेटाबोलिक्स ने इसे लेकर आयातक के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।



कांग्रेस ने  मामले की जांच की मांग की
इधर, कांग्रेस ने टेस्ट किट की खरीद में मुनाफाखोरी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस मामले की जांच हो और कार्रवाई हो। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान हुए सभी आयात के दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएं। सोमवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस नाजमी वजीरी की अदालत में एक बहुत अहम मामला सुना गया। इस मामले के दूरगामी परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि जिन 5 लाख किट की 245 रुपये प्रति किट की दर से कुल कीमत 12.25 लाख बनती है, उसे डिस्ट्रीब्यूर को 21 करोड़ रुपये में बेचा गया और अब वही किट आईसीएमआर को 30 करोड़ रुपये में बेची जा रही है।



उन्होंने कहा कि दिलचस्प बात यह कि जिस आयातक ने आईसीएमआर को 600 रुपये प्रति किट की दर से बेचा, वही तमिलनाडु सरकार को 400 रुपये प्रति किट की दर से बेच रहा है। उन्होंने कहा कि इस महामारी और लॉकडाउन के चलते जहां देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बैठ गई है, वहीं इस मौके का फायदा उठाते हुए कालाबाजारी और मुनाफाखोरी हो रही है। उन्होंने कहा कि लोग अपनी गाढ़ी कमाई से पीएम केयर फंड में पैसे दे रहे हैं, उसका इस तरह इस्तेमाल उचित नहीं। उन्होंने कहा कि इस खरीद में जितने का मुनाफाखोरी हुई है, उसमें तीन लाख से ज्यादा किट और खरीदी जा सकती थी। उन्होंने सरकार से इस मामले की जांच की मांग की है।


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