बिहार: तेजस्वी ने पूछा - सरकार इतनी असहाय क्यों है?

                   


पटना/अक्षर सत्ता। बिहार में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 83 पहुंच चुका है। देश का हर वर्ग कोरोना को हारने में लगा है। लेकिन बिहार में इसे लेकर राजनीति गर्म है। विपक्ष पक्ष पर तो पक्ष विपक्ष पर हमलावर है। इतना है नहीं सवालों के माध्यम से आने वाले विधानसभा चुनाव की नींव भी तैयार हो रही है।


चाहे वो प्रवासी मजदूरों की बात हो या किसानों की। इस कड़ी में हर वो बात जो बिहार सरकार के कोरोना महामारी के वक़्त उठाया जा सकता है, विपक्ष उसे पूरी शिद्दत से उठा रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सीएम नीतीश को ये बताने में लगे हैं कि आप कैसे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को बिहार ला सकते हैं। इतना ही नहीं नीतीश सरकार को असहाय तक बता रहे हैं। इसे लेकर आज तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश को एक खुला ख़त भी लिखा है। उन्होंने लिखा है कि बिहार सरकार आख़िरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं ? अप्रवासी मजबूर मज़दूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुख़ी भरा व्यवहार क्यों है? विगत कई दिनों से देशभर में फँसे हमारे बिहारी अप्रवासी भाई और छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए गुहार लगा रहे है लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा कि सरकार के कानों तक जूँ भी नहीं रेंग रही। आख़िर उनके प्रति असंवेदनशीलता क्यों है?


गुजरात, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारें जहाँ अपने राज्यवासियों के लिए चिंतित दिखी और राज्य के बाहर फँसे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुँचाने का इंतज़ाम किया वहीं बिहार सरकार ने अपने बाहर फँसे राज्यवासियों को बीच मँझधार में बेसहारा छोड़ दिया है। देशव्यापी लॉक्डाउन के मध्य ही गुजरात सरकार ने हरिद्वार से 1800 लोगों को 28 लक्ज़री बसों में वापस अपने राज्य में लाने का प्रबंध किया। उत्तर प्रदेश शासन ने 200 बसों के अनेकों ट्रिप से दिल्ली एनसीआर में फँसे अपने राज्यवासियों को उनके घरों तक पहुँचाया, राजस्थान के कोटा से यूपी के 7500 बच्चों को वापस लाने के लिए 250 बसों का इंतज़ाम किया। वाराणसी में फँसे हज़ारों यात्रियों को बसों द्वारा अनेक राज्यों में भेजा गया।


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