ब्रिटेन पर दोहरी मार, अब गरीबी से भी लाचार, एक करोड़ 40 लाख लोग गरीबी में जीने को मजबूर


लंदन। कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी ब्रिटेन में संक्रमण के साथ ही अब गरीबी बढ़ा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिटेन में वैश्विक आर्थिक संकट के बाद एक दशक से ब्रिटेन की सरकार ने आर्थिक कटौतियों का पालन किया है, उसके बावजूद अब तंगहाली के हालात बन रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन में एक करोड़ 40 लाख लोग गरीबी में रह रहे हैं। यह तादाद ब्रिटेन की कुल आबादी का करीब एक-चौथाई है।


42 लाख ब्रिटिश बच्चे गरीबी के शिकार


ब्रिटिश सरकार के आंकड़ों के अनुसार 42 लाख ब्रिटिश बच्चे गरीबी का शिकार हैं। यह आंकड़ा वहां के कुल बच्चों का 30 फीसद है। ब्रिटेन में कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन के चलते बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां जा रही हैं। ऐसे में ब्रिटेन वासियों के लिए हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।


दस लाख लोगों ने मांगा कर्ज


सामाजिक परिवर्तन के लिए काम करने वाले संगठन जोसेफ राउनट्री फाउंडेशन के अर्थशास्त्र प्रमुख डेव इन्स ने कहा है कि अस्पतालों और खुदरा क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए गरीबी का खतरा खासतौर पर बढ़ रहा है। चूंकि इस क्षेत्र के लोगों का वेतन पहले ही बहुत कम है और नौकरियां भी असुरक्षित हैं। पिछले एक पखवाड़े में ब्रिटेन के करीब दस लाख नागरिकों ने यूनिवर्सल क्रेडिट यानी कर्ज के लिए आवेदन किया है। यह ब्रिटिश सरकार का सबसे प्रमुख सरकारी कर्ज है। कर्ज के लिए आवेदन की स्थिति सामान्य दिनों के मुकाबले दस गुना अधिक है।


पहले थे अमीर अब लेना पड़ रहा कर्ज


ब्रिटेन के चाइल्ड पावर्टी एक्शन ग्रुप की एक डायरेक्टर लुइसा मैकग्रीहम ने कहा है कि कोरोना महामारी से पहले जिन परिवारों की आय अच्छी थी और अब उन्हें यह कर्ज लेना पड़ रहा है, वह एकाएक अपने को गरीबी के दायरे में पाएंगे। गरीबी और लॉकडाउन के चलते जिनके बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, उन लोगों ने भी ऑनलाइन शिक्षा की मांग करके मुसीबत बढ़ा दी है। हालांकि बहुत से स्कूल इंटरनेट पर बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था कर रहे हैं।



गरीब बच्चों को शिक्षा भी नहीं


मैकग्रीहम ने कहा कि अगर वह गरीब बच्चे ऐसे परिवारों से हैं, जहां इंटरनेट या कंप्यूटर नहीं है, वह ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि हम ऐसे देश में रह रहे हैं जहां कोरोना संक्रमण चलते बच्चों को गरीबी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जिस तरह 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट के बाद ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर सरकारी और गैरसरकारी खर्चो कटौती की गई थी, उसके बाद अब इस कोरोना महामारी ने ब्रिटेन को गरीबी के संकट में झोंक दिया है। इसी के चलते लोग बड़े पैमाने पर सरकार से कर्ज ले रहे हैं।



फूड बैंकों को भी कम दान मिल रहा


ब्रिटेन में सरकारी सहायता पाने वाले 25 साल से अधिक आयु के ब्रिटिश नागरिक को एक हजार पाउंड (करीब 1,239 डॉलर) मिलेंगे। इस देश में गरीबी को रोकने के लिए एक व्यक्ति के घर में मासिक राशि 400 पाउंड ही दी जाएगी। मौजूदा समय में मंदी का दौर है और इससे बाहर निकलने में वक्त लगेगा। फूड बैंक को भी कम दान मिल रहा है जो कोरोना पीडि़तों और बेघरों का भोजन मुहैया कराता है। 1200 फूड बैंक वाले ट्रुसैल ट्रस्ट के अनुसार उनके सामने बहुत बड़ी चुनौती है। हालांकि ब्रिटिश सरकार बच्चों को स्कूलों में मिलने वाला खाना अभी भी मुहैया करा रही है। नेशनल एजुकेशन यूनियन की अध्यक्ष और अध्यापिका अमंडा मार्टिन ने कहा कि वह अपने स्कूल में अभी भी खाने के पैकेट भेजती हैं, जहां से वह लोग भोजन ले जाते हैं। 


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