चीन में 110 साल पहले भी ऐसा हो चुका है, मदद के लिए साथ आई थी पूरी दुनिया


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता। चीन के वुहान से जन्मा कोरोना वायरस चीन में फैली महामारी का यह पहला कारण नहीं है बल्कि इससे पहले भी चीन महामारी की चपेट में आ चुका है। चीन में 110 साल पहले भी ऐसा हो चुका है। उस वक्त एक महामारी ने 60 हजार लोगों से ज्यादा जानें ले ली थी।


इस महामारी को लेकर यह भी बताया जाता है कि यह वैश्विक महामारी बन जाती अगर पूरी दुनिया साथ आकर साथ न देती, सहयोग न करती तो। इस समय में जब कोरोना पूरी दुनिया में अपना कहर बरपा रहा है तब इस महामारी के हालातों को समझ कर आगे के रास्ते खोले जा सकते हैं।


आज जहां महामारी के बीच भी दुनियाभर के देश एक दूसरे पर लड़ने के लिए अमादा हैं, ऐसे हालातों में वर्ष 1911 के समय को याद किया जा रहा है जब चीन की मदद के लिए अमेरिका, जापान, रूस और बाकी यूरोपीय देश साथ आए थे और उनके सहयोग ने एक महामारी को हरा दिया था।  


प्लेग नाम की यह बीमारी पूरे चीन को तबाह कर गई। लेकिन यह कोई आम चूहे नहीं थे ये पहाड़ी चूहे थे जिन्हें मार्मट कहा जाता है। इन चूहों का मांस खाया जाता था। इन्हें पकड़ने वाले लोग बीमार मार्मट को नहीं खाते थे लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि बीमार मार्मट के बिलों से दूर रहना चाहिए। शिकारियों की इसी गलती ने चीन में कोहराम मचा दिया। इसी महामारी को बाद में ग्रेट मन्चूरियन प्लेग के नाम से जाना गया।


यह बीमारी साल भर तक कोहराम मचाती रही। शुरुआत में इससे मरने वालों की संख्या बेहिसाब रही। जिससे चीन में लाशे सामूहिक रूप से दफनाई जाने लगीं। लोगों के ठीक होने के बाद उनके हाथों में एक बैंड पहनाया जाता था जिससे पता लग सके कि वो ठीक हो चुके हैं।


इस बीमारी से बचने के लिए चीन ने हर संभव प्रयास किए। उस वक्त विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे संस्थान नहीं थे जो चीन की मदद करते। इसलिए उस समय आइसोलेशन, मास्क, लॉकडाउन आदि प्रतिबंधित नियम लगा कर ही चीन इस महामारी से बच सका।


बताया जाता है कि चीन की इस महामारी की वजह से दुनिया की सोच बदल गई। पूरी दुनिया ने मानवता के लिए काम करना और राजनीती से अलग होगा मानवता के पक्ष में सोचना शुरू किया। देशों ने आपसी सहयोग को किसी भी महामारी से लड़ने में सक्षम पाया।


दुनिया की सोच बदलने का काम किया। पूरी दुनिया राजनीति से उठकर मानवता के पक्ष में दिखी। पहले विश्वयुद्ध के बाद पेरिस शांति समझौते के चलते राष्ट्र लीग बनी जिसने वैश्विक हेल्थ ब्यूरो बनाया। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूएन ने इसी संस्था को विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वरूप में मान्यता दी थी।


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