कोरोना संक्रमण: अखिलेश यादव का तंज- सरकार याद रखे ‘भूख’ का आइसोलेशन नहीं हो सकता


नई दिल्ली/ अक्षर सत्ता। कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर देशभर में हाहाकार मचा हुआ है। लॉकडाउन में जहां कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, वहीं गरीब-मजदूरों का भी बुरा हाल है। देशभर में अब तक 206 कोरोना मरीजों की मौत हो गई है। इसके साथ ही देश में सियासत भी अपने चरम पर है। राहत फंड से लेकर जरूरी सवालों पर भी सरकार सीधे सवाल नहीं दे रही है। इसी को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोरोना जैसे मसले पर राजनीति नहीं करने की अपील की है। 


समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना का राजनीतिकरण दुर्भाग्यपूर्ण है।


सपा अध्यक्ष अपने ट्वीट में वह लिखते हैं, 'कोरोना का ‘राजनीतिकरण’ दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे मूल मुद्दों से ध्यान हटता है और सरकार से पूछे जानेवाले सही क्वारैंटाइन, स्क्रीनिंग, संक्रमण की जाँच, इलाज तथा दूध-दवाई, सब्ज़ी-खाद्यान्न की आपूर्ति जैसे उचित प्रश्न पीछे छूट जाते हैं। सरकार याद रखे ‘भूख’ का आइसोलेशन नहीं हो सकता।'


इसके साथ ही पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर पार्टी का प्रपत्र पर शेयर किया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि प्रदेश में अनिर्णय की स्थिति में कृषि क्षेत्र में अव्यवस्था फैली हुई है। छोटे किसान पशुपालन का भी धंधा करते हैं। लॉकडाउन के चलते दुग्ध संग्रह सेंटर बंद हो चुके है। पशु आहार मंहगा हो गया है। पशुओं के रोगों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। दूध की कमी से बच्चों की सबसे ज्यादा दिक्कते महानगरों और सील किये गये क्षेत्रों में है। दुग्ध उत्पादन में कमी से लखनऊ के सभी प्रमुख मिष्ठान भण्डारों में ताले लग गए हैं। चाय की दूकानों का धंधा चैपट है। जो हॉटस्पॉट हैं वहां दुग्ध आपूर्ति की व्यवस्थाएं अभी तक पटरी पर नहीं आई हैं। 


किसानों के प्रति सरकारी रवैया उपेक्षापूर्ण है। गेहूं की फसल तैयार है लेकिन सरकारी क्रय केन्द्रों का कहीं अता-पता नहीं है। क्रय केंद्रों को भुगतान की धनराशि नहीं दी गई है। किसानों को धोखा ही मिला है। न तो उन्हें लागत का ड्योढ़ा दाम मिल रहा है, न उनकी आय दुगनी करने के वादे का कहीं जिक्र हो रहा है। किसान को अतिरक्त मुआवजा, गन्ना किसानों को मयब्याज बकाया भुगतान और असमयवृष्टि तथा ओला गिरने से हुई फसल की क्षतिपूर्ति किए जाने की तत्काल आवश्यकता है।


किसानों को बिना ब्याज के सस्ते कर्ज की भी व्यवस्था की जानी चाहिए। उर्वरक के दाम सस्ते किए जाए। अन्यथा कर्ज और फसल की लागत भी न मिलने से हताश किसान अवसाद में आत्महत्या करने लगेंगे। वैसे भी कृषि क्षेत्र संकट से घिरा है। कृषि क्षेत्र सिमटता जा रहा है। किसान खुद मजदूर बनता जा रहा है। लाॅकडाउन के बाद की स्थिति बहुत उजली नहीं दिख रही है। इसलिए अभी से राज्य सरकार को सावधानी के कदम उठाने होंगे।


बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार दिल्ली मरकज से आए लोगों के खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई करती नजर आ रही है। इसके साथ ही विपक्ष का आरोप है कि योगी सरकार  मरकज मसले को जरूरत से ज्यादा तूल दे रही है, जबकि कोरोना से जुड़े वास्तविक सवालों से बचती नजर आ रही है।


दरअसल, यूपी में कोरोना मरीजों की संख्या 400 को क्रॉस कर चुकी है। अब तक 4 लोगों की मौत भी हो चुकी है। गुरुवार को ही प्रदेश में कोरोना के 49 नए मामले आए। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद का कहना है कि प्रदेश के 410 मामलों में से 221 मामले तबलीगी जमात से ताल्लुक रखते हैं। 31 लोगों का इजाल किया जा चुका है। अब तक प्रदेश में कोरोना से 4लोगों की मौत हो चुकी है। मेरठ, वाराणसी, बस्ती और आगरा में ये चार मौत हुई है। 


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