कोरोना संक्रमण : डॉक्टरों ने अब पीएम मोदी से लगाई मदद की गुहार

                                                   


नई दिल्ली/ अक्षर सत्ता। कोरोना संक्रमण रोकने में जुटे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की मुश्किलें तमाम सरकारी आश्वासनों के बावजूद कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। निजी सुरक्षा उपकरण भी सही तरीके से उन्हें मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। लेकिन, जब डॉक्टर्स अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठाते हैं तो उनके खिलाफ ही कार्रवाई हो जाती है। ऐसे में डॉक्टर्स असमंजस में पड़ गए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि जब एम्स के डॉक्टरों का ये हाल है तो देश के दूर-दराज में क्यो होगा। इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और पीएमओ भी विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं।


इसी बीच दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों की एसोसिशन ने अपनी तकलीफों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। अपने इस पत्र में डॉक्टरों का आरोप है कि जो डॉक्टर कोरोना संक्रमण की तैयारियों से जुड़े सवाल उठाते हैं, उनके टारगेट किया जा रहा है। इससे उनके मनोबल पर विपरीत असर पड़ रहा है। 


खास बात यह है कि देशभर में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के बाच पीपीई यानि निजी सुरक्षा उपकरण की भारी कमी देखी जा रही है। इसको लेकर राज्य सरकारें भी केंद्र से गुहार लगा रही है। इसके साथ ही मेडिकल स्टाफ भी सोशल मीडिया के जरिए अपनी परेशानियों के साझा करने को मजबूर हो रहा है।


मेडिकल स्टाफ की समस्याओं को लेकर विपक्ष भी केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हैं। कांग्रेस इस मुद्दे को अपने स्तर पर उठा रही है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से उन डॉक्टरों और नर्सों की आवाज को उठा रहे हैं, जो परेशान हैं और पीपीई की मांग कर रहे हैं। 


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी लगातार पीपीई किट्स की कमी को लेकर मोदी सरकार से गुहार लगा चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने रिलीफ फंड में भेदभाव का आरोप लगाया है। दिल्ली के पास अब तीन दिनों का ही पीपीई स्टॉक बचा है। 


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