कोरोना संक्रमण: टेस्टिंग किट, पीपीई किट और वैक्‍सीन में आत्मनिर्भर बनने की तैयारी

                                     


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता। कोरोना के फैलने की रफ्तार थामने के बाद सरकार इस लड़ाई में देश को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने में जुट गई है। पीपीई किट के अलावा अब सरकार स्वदेशी टेस्टिंग किट के बड़े पैमाने पर उत्पादन की तैयारी में है। इसके साथ ही देश विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों में कोरोना की दवा के इजाद से लेकर वैक्सीन के विकास पर काम शुरू हो गया है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता में कोरोना पर गठित मंत्रिमंडलीय समूह की बैठक में इन सभी प्रयासों की समीक्षा की गई और उन्हें हर तरह से मदद देने का फैसला लिया गया। 


50 से अधिक कंपनियां बना रहीं हैं पीपीई किट 


जनवरी में जब देश में कोरोना के वायरस ने दस्तक दी थी, तब देश में एक भी पूर्णतया स्वदेशी पीपीई किट नहीं बनता है। लेकिन अब देश में 50 से अधिक कंपनियां विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप प्रतिदिन 50 हजार से अधिक पीपीई किट बना रही है और इस महीने तक इसकी क्षमता एक लाख पीपीई किट प्रतिदिन की हो जाएगी। इसके बाद पीपीई किट की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।  


स्वदेशी आरटी-पीसीआर टेस्टिंग किट का निर्माण शुरू


 इसके अलावा लव अग्रवाल के अनुसार देश में ही स्वदेशी आरटी-पीसीआर टेस्टिंग किट का निर्माण शुरू हो गया है और अगले महीने से 10 लाख किट हर महीने का उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसी तरह एंटीबॉडी आधारित रैपिट टेस्टिंग किट का निर्माण भी 10 लाख किट हर महीने की क्षमता के साथ शुरू होने जा रहा है। स्वदेशी पीपीई और टेस्टिंग किट के साथ-साथ जीओएम की बैठक में ऐसे टेस्टिंग किट विकसित करने की जरूरत सामने आई, जो 30 मिनट के भीतर कोरोना का सटीक टेस्ट कर कर सके। सीएसआइआर, डीएसटी, डीबीटी, डीआरडीओ समेत सभी वैज्ञानिक अनुसंधान संगठनों व उनके प्रयोगशालाओं को इस दिशा में तेजी से काम करने को कहा गया है। 


वैक्‍सीन विकसित करने के लिए दर्जनों प्रयोगशालाओं में चल रहा काम  


आइसीएमआर के डाक्टर रतन  गंगाखेडकर के अनुसार कोरोना के इलाज के लिए दवा विकसित करने के लिए देश के विभिन्न प्रयोगशालाओं में एक दर्जन से अधिक प्रयोग चल रहे हैं और उनमें कुछ प्रयोग पुरानी दवाइयों पर भी हो रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसमें एक भी प्रयोग सफल रहा तो कोरोना का इलाज संभव हो जाएगा। वहीं लव अग्रवाल के अनुसार भारत कोरोना के लिए वैक्सीन विकसित करने के लिए डब्ल्यूएचओ के कंसोर्टियम का हिस्सा है और इसमें अपना योगदान कर रहा है।


इसके अलावा भारत में स्वदेशी वैक्सीन खोजने की प्रयास भी किये जा रहे हैं। जीओएम की बैठक में वैज्ञानिक अनुसंधान संगठनों को कोरोना के वायरस के सिक्वेंसिंग में तेजी लाने को कहा गया है, ताकि हर तरह से वायरस अनुसंधान के लिए उपलब्ध हो सके। इससे इसके खिलाफ नई दवा इजाद करने से लेकर वैक्सीन विकसित करने में भी सफलता मिलेगी। 


इसके पहले भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन देशभर के वैज्ञानिकों से कोरोना के खिलाफ एकजुट प्रयास और इस पर होने वाली हर खोज को अन्य वैज्ञानिकों के साथ तत्काल साझा करने को कहा था। लव अग्रवाल ने कहा कि देश के वैज्ञानिकों के सम्मिलित प्रयासों का नतीजा दिखने लगा है और जल्द ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा। 


Post a Comment

أحدث أقدم