कोरोना से बचाव के उपकरण एवं सामान बनाने मेंजुटी रेलवे 



नई दिल्ली/ अक्षर सत्ता। भारतीय रेलवे की आधुनिक कोच, पहिया एवं लोको एवं इलेक्ट्रनिक इंजन बनने फैक्ट्रियां आज कल कोरोना से बचाव के उपकरण एवं सामान बनाने में जुट गई हैं। पहले अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले सामानों का निर्माण किया, अब पिछले दो दिनों से  रियूजेबल फेसमास्क एवं हैंड सैनिटाइजर खुद ही बना रही है। चूंकि, इन दोनों चीजों की ज्यादा से ज्यादा जरूरत भारतीय रेलवे के कर्मचारियों एवं देश को है, इसलिए सभी ईकाईयां चौबीस घंटे मास्क और सैनिटाइजर बनाने में जुट गई हैं।


दो दिनों में 6 लाख फेसमास्क व 41 हजार लीटर बना दिया सैनिटाइजर
पिछले दो दिनों के भीतर रेलवे ने सभी जोनल रेलवे, उत्पादन इकाइयों और पीएसयू में ही कुल 5,82,317 रियूजेबल फेसमास्क एवं 41,882 लीटर हैंड सैनिटाइजरों का उत्पादन किया है। कोविड-19 के प्रकोप को रोकने के लिए स्वास्थ्य पहलों को सहायता देने के सभी प्रयास कर रही है। इस दिशा में भारतीय रेल अपने सभी जोनल रेलवे, उत्पादन इकाइयों और पीएसयू में ही रियूजेबल फेसमास्क एवं हैंड सैनिटाइजर खुद बना रही है। चूंकि, 15 अप्रैल से देश में यात्री ट्रेनों को फिर से शुरू किया जाना है, ऐसे में ड्राइवर, गार्ड, टीटीई सहित रेल यातायात में लगे लाखों कर्मचारियों केा इन चीजों की सख्त जरूरत होगी। यही कारण है कि रेलवे अपने कर्मचारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठाने के लिए आगे आया है। रेलवे में 13 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैँ।  


   
पूरे रेलवे नेटवर्क के लिए खुद ही तैयार हो रहा है इमरजेंसी सामान
रेलवे के मुताबिक 7 अप्रैल से सभी जोनल रेलवे, उत्पादन इकाइयों और पीएसयू में शुरू हुए इस अभियान में ही कुल 5,82,317 रियूजेबल फेसमास्क एवं 41,882 हैंड सैनिटाइजरों का उत्पादन किया है। इसमें 81008 रियूजेबल फेसकवरों एवं 2569 हैंड सैनिटाइजरों के साथ पश्चिमी रेलवे, 77995 रियूजेबल फेसकवरों एवं 3622 लीटर हैंड सैनिटाइजरों के साथ उत्तर मध्य रेलवे, 51961 रियूजेबल फेसकवरों एवं 3027 लीटर हैंड सैनिटाइजरों के साथ उत्तर पश्चिम रेलवे, 38904 रियूजेबल फेस कवरों एवं 3015 लीटर हैंड सैनिटाइजरों के साथ मध्य रेलवे, 33473 रियूजेबल फेसकवरों एवं 4100 लीटर हैंड सैनिटाइजरों के साथ पूर्व मध्य रेलवे और 36342 रियूजेबल फेसकवरों एवं 3756 लीटर हैंड सैनिटाइजर पश्चिम मध्य रेलवे ने तैयार किया है।


यात्री ट्रेनें चली तो लाखों मास्क चाहिए
  रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की माने तो रिमूवेबल फेसकवर तथा हैंड सैनिटाइजर ड्यूटी पर आने वाले सभी कर्मचारियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्हें संविदा श्रमिक भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। रेलवे कार्यशालाएं, कोचिंग डिपो एवं अस्पताल इस अवसर पर आगे बढ़कर स्थानीय रूप से सैनिटाइजरों और मास्कों का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे कि आपूर्ति में सहायता दी जा सके।


   रेलवे अधिकारी की माने तो सभी कार्मिकों को बेहतर स्वच्छता बनाये रखने के लिए रियूजेबल फेस कवर का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। रियूजेबल फेस कवर के दो सेट कर्मचारियों के पास उपलब्ध रहना है। सभी कार्मिकों को प्रति दिन साबुन से फेस कवर को साफ करने का परामर्श दिया जा रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस संबंध में विस्तृत परामर्शदात्री जारी की है जिसे सभी को संचारित कर दिया है।


  इसके अलावा साबुन, पानी और धोने की सुविधाएं सभी कार्यस्थलों पर उपलब्ध कराई जा रही है। स्थानीय नवोन्मेषणों के साथ हैंड फ्री धोने की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। रेलवे प्रवक्ता की माने तो सोशल डिस्टैंसिंग सुनिश्चित किया जा रहा है। इस संबंध में ट्रैकमेन एवं लोकोमोटिव पायलटों जैसे सभी कर्मचारियों के बीच नियमित रूप से जागरुकता फैलाई जा रही है।


Post a Comment

और नया पुराने