मध्यप्रदेशः स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से भोपाल में संक्रमित मरीजों की बढ़ी तादाद


भोपाल/अक्षर सत्ता। मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन उस समय हो रहे थे जब बीते महीने देश में पीएम नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन लागू कर दिया था। लेकिन राज्य की लापरवाही उसी समय उजागर हो गई थी जब सत्ता का संघर्ष देखा गया। बहरलाल आज राज्य फिर से संकट में है। लगातार कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिसमें स्वास्थ्य विभाग की भी बहुत बड़ी लापरवाही अब उजागर हुई है।


बता दें कि भोपाल में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में कुल 99 में से आधे से ज्यादा स्वास्थ्य विभाग और उनके परिवार से ही है। जिस विभाग पर राज्य के स्वासथ्य की पूरी जिम्मेदारी है वहीं अगर मरीजों की संख्या घटने का नाम नहीं ले रहा है तो राज्य के दूर-दराज इलाकों का क्या हाल होगा,समझा जा सकता है। इसे आप अफसरों की लापरवाही ही कह सकते है। जिनके कंधे पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी वे या तो अतिआत्मविश्वास में डूबे थे या ठीक तरीके से सारे हालात का मॉनिटरिंग नहीं कर पायें। उन्होंने यह भी ध्यान देना उचित नहीं समझा कि कोरोना टेस्टिंग किट की राज्यों को तत्काल कितनी आवश्यकता है।


हालात यह है कि आज राज्य के स्वास्थ्य विभाग के 35 अफसर और कर्मचारी क्वारंटीन सेंटर में रखे गए है। वैसे राज्य में कुल 437 लोग अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित है। जिसमें सिर्फ इंदौर में ही 235 लोग संक्रमित है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही तब शुरु हुई जब इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के प्रमोद गोयल 21 मार्च को इंदौर से भोपाल पहुंचे थे। उन्हें उस समय बुखार और खांसी कीशिकायत होने के बाद भी जांच नहीं कराया गया। बल्कि छुट्टी दे दी गई। बस यहीं से विभाग में संक्रमितों की संख्या बढ़ती गई।


दूसरी तरफ पल्लवी जैन जो स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव है वे भी कोरोना संक्रमित है। उनके बेटा ने हाल ही में विदेश से यात्रा करके अपने घर पहुंचे थे। राज्य में 22 मार्च को ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक के तौर पर कार्यभार संभालने पहुंची स्वाति मीणा के स्वागत में Social Distancing का खूब धज्जियां उड़ाया गया। हालांकि शिवराज सरकार अब आनन-फानन में कई कदम उठाते नजर आ रहे है ताकि कोरोना के कहर से राज्य को बजाया जा सकें। लेकिन शायद अब तक बहुत देरी हो चुकी है।


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