नई दिल्ली/अक्षर सत्ता। कोरोना संक्रमण के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी नौकरी करने वाले कर्मिचारियों के महंगाई भत्ते पर जुलाई 2021 तक रोक लगा दी है। इसको लेकर जहां विभिन्न विभागों के सरकारी कर्मचारी संगठनों में रोष है, वहीं सियासत भी गर्मा गई है। विपक्ष ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेना शुरू कर दिया है।
समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस ने भी सरकारी नौकरी करने वाले के डीए रोकने पर आपत्ति जताते हुए सरकार को अपने फिजूल के खर्चे कम करने की नसीहत दी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सरकारी सेवकों का पक्ष लेते हुए सरकार से फौरन डीए बहाल करने की गुजारिश की है।
अपने ट्वीट में वह लिखते हैं, 'सरकारी सेवकों के DA पर पाबंदी का फैसला सरकार तुरंत वापस ले. एक तरफ़ बिना अवकाश लिए अधिकारी-कर्मचारी लोग अपनी जान पर खेलकर सामान्य दिनों से कई गुना काम कर रहे हैं, दूसरी तरफ़ सरकार उन्हें हतोत्साहित कर रही है. पेंशन पर निर्भर रहनेवाले बुजुर्गों के लिए तो ये और भी घातक निर्णय है।'
बता दें कि सरकारी कर्मचारियों के संगठनों ने अपनी तरफ से ही पीएम केयर्स में मोटा डोनेशन किया है। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने उनके महंगाई भत्ते पर भी कैंची चलाई है। इससे सरकारी नौकरी करने वालों को तगड़ा झटका लगा है। महंगाई भत्ता कटने से केंद्र सरकार ने मोटी रकम का जुगाड़ कर लिया है।
मोदी सरकार के इस फैसले से ही लगभग 48 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगियों पर प्रभाव पड़ने वाला है। केंद्र सरकार इस वक्त धन के संकट से जूझ रही है। उसने हाल ही में आरबीआई से 2 लाख करोड़ रुपये लिए हैं। लेकिन, विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार बुलैट ट्रेन और सेंट्रल विस्टा जैसे महंगे प्रोजेक्ट को रोकने को तैयार नहीं है।
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