तबलीगी जमात का अमीर मौलाना साद अभी तक फरार


नई दिल्ली। दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात (Tablidhi jamaat) का आयोजन करने वाला मौलाना साद (Maulana saad) अभी तक फरार चल रहा है। उसकी तलाश के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम जुटी हुई है। जो उसकी देश के कई हिस्सों में तलाश कर रही है। बता दें मौलाना साद की जमात में कम से कम 6000 लोग शामिल हुए थे जिनके कारण देश में तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है।


बुधवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने बताया था  कि दिल्ली में अभी तक कोरोना का आंकड़ा 152 तक पहुंचा है। जिसमें पिछले 24 घण्टे में ही 32 केस शामिल हो हुए है। सरकार का कहना है कि  इनमें से 55 मामले जमात से जुड़े हैं। 


वही दूसरी तरफ तमिलनाडु में पिछले 2 दिनों से 150 से ज्यादा संक्रमित लोगों का आंकड़ा सामने आया है। जिसमें से अधिकाश लोग तबलीगी जमात का हिस्सा थे। इस जमात में शामिल लोगों ने पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में यात्रा करके देश में कोरोना वायरस के फैलने की गति को बढ़ाया था। इन सभी अपराधों के लिए पुलिस ने मौलान साद को जिम्मेदार माना था। जिसके खिलाफ पुलिस ने महामारी धारा 1897 के तहत FIR भी दर्ज की है। लेकिन मौलाना अभी तक पुलिस की पकड़ में नहीं आया है।


कौन है मौलाना साद
बता दें इस पूरी घटना में विलन बनकर सामने आया मौलाना साद का पूरा नाम मुहम्मद साद कंधावली है। वह इस समय तबलीगी जमात का मुखिया है। इस समय पूरे देश में दो संस्थाए तबलीगी जमात का आयोजन करती हैं उनमें से एक समूह का मुखिया साद है। बता दें साद वैसे देश में तबलीगी जमात के संस्थापक का पड़पोता भी है। साद ने खुद को तबलीगी जमात का एकछत्र अमीर यानि मुखिया घोषित किया हुआ है। उसने हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से 1987 में आलिम की डिग्री ली है। 


जानें क्या है तबलीगी जमात
बता दें तबलीगी जमात भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है। तबलीगी जमात (tablighi jamat) के पूर्व मुखिया मौलाना जुबैर उल हसन (Jubair ul hasan) ने संगठन का नेतृत्व करने के लिए के सुरू कमेटी का गठन किया था। जमात एक समूह को कहते हैं, जो इस्लाम का प्रचार करता हैं। जमात के लोग इस अवधि के लिए एक क्षेत्र को चिन्हित करते हैं, इसके बाद वहां की मस्जिदों में दो से तीन दिन रुककर इस्लाम कर प्रचार करते हैं। इसके बाद दूसरी मस्जिद का रुख करते है। 40 दिन, चार और पांच माह की जमात की समय अवधि जब पूरी होती है तो वह तबलीगी मरकज जाते हैं। पांच माह की जमात विश्व के कई देशों में जाती हैं। 


Post a Comment

और नया पुराने