खतरा: अगले 50 साल में भीषण गर्मी झेलेंगे इंसान, भारत और पाकिस्तान 


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। कोरोना से जूझती इस दुनिया के ये एक बुरी खबर हैं। इस दुनिया को जल्द ही भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। इससे जुड़ा एक अध्ययन सामने आया है जो यह दावा करता है कि आने वाले सालों में बहुत कुछ बदलने वाला है।


क्या कहता है ये अध्ययन
यह स्टडी प्रोसिडिंग्स ऑफ द नैशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित की गई है। इसको लिखने वाले एग्जेटर यूनिवर्सिटी के टिम लेंटन ने स्टडी के बारे में बताया है। इस स्टडी में बताया गया है कि अगले 50 सालों के भीतर ही जलवायु तेजी से बदलेगी।


इस बदलाव से बड़ी संख्या में लोग विस्थापित होंगे या हो सकता है कि एक अरब से ज्यादा आबादी को भीषण गर्मी झेलनी पड़े। यह स्टडी कहती है कि आने वाले सालों में वातावरण बेहद गर्म हो जायेगा जिसमें रहना मुश्किल होगा। जिसकी वजह से लोग जगह बदल सकते हैं।


अध्ययन में मिली चेतावनी
यह स्टडी बताती है कि यह समय इतना ज्यादा बुरा होगा कि दुनिया की एक तिहाई से ज्यादा आबादी को सहारा के सबसे गर्म प्रदेश से भी ज्यादा गर्मी सहन करनी होगी और अगर बहुत सुधार होते हुए भी या बहुत अच्छी स्थिति भी रही तो 1.2 अरब से ज्यादा लोगों को बुरे वातवरण में रहना पड़ सकता है।


धरती पर होगा विनाश
स्टडी लिखने वाले टिम लेंटन बताते हैं कि मैं इससे डर गया था लेकिन फिर मैंने दोबारा इसे देखा, शायद कोई गलती हुई हो लेकिन नहीं!! यह सही था। मैंने जलवायु को प्रभावित करने वाले उन बिन्दुओं पर गौर किया जो धरती पर विनाश से जुड़े होते हैं।


लेकिन स्टडी में जो सामने आया वो काफी सर्वनाश करने वाला था। यह हर मानवीय कंडीशन के लिए खतरनाक है। बता दें, इस स्टडी में पता लगाया गया है कि जलवायु परिवर्तन मानवीय निवास स्थान कि तरह से प्रभावित करता है।


भारत, पाकिस्तान में होगा विनाश
इस स्टडी के अनुसार, आने वाले सालों में तापमान 7.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। इस तापमान में दुनिया की 30% आबादी को भीषण गर्मी के साथ रहना पड़ेगा, तब औसत तापमान 29 डिग्री सेल्सियस यानी 84 डिग्री फारेनहाइट रहेगा। ऐसा वातावरण सहारा के बाहर के क्षेत्रों में नहीं होता, लेकिन यह कहा जा सकता है कि वैश्विक रूप से तापमान में 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।


इस भीषण गर्मी वाले तापमान के दायरे में  भारत की 1.2 अरब जनसंख्या आएगी। इसके अलावा दुनिया में नाइजीरिया के 48.5 करोड़ लोग, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और सूडान की 10-10 करोड़ आबादी इस जला देने वाले तापमान से प्रभावित होगी।


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