नहीं रहे फिल्म संगीत के सुनहरे दौर के गीतकार योगेश 


मुंबई।


बॉलीवुड को एक से बढ़कर गी‌त देने वाले गीतकार योगेश गौर का निधन हो गया है। उनकी उम्र 77 साल थी. उनके बारे में कहा जाता है कि 16 साल की उम्र में लखनऊ से मुंबई आए योगेश ने एक फिल्म में गाने लिखे। इन्हें ऋषिकेश मुखर्जी ने सुना और 'आनंद' फिल्म में मौका दिया। आनंद में गुलजार ने 'मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने लिखा' और योगेश ने 'कहीं दूर जब दिन ढल जाए' और 'जिंदगी कैसी है पहेली हाय' लिखे।


फिल्म मिली का 'आए तुम याद मुझे' छोटी सी बात का 'न जाने क्यों होता है ये जिंदगी के साथ', रजनीगंधा का 'कई बार यूं भी देखा है' के अलावा 'रिमझिम गिरे सावन सुलग-सुलग जाए मन', 'न बोले तुम न मैंने कुछ कहा', 'बड़ी सूनी-सूनी है', 'जिंदगी ये जिंदगी' जैसे कई 70 के दशक की फिल्मों सुपरडुपर हिट गाने योगेश ने लिखे।


कहीं दूर जब दिन ढल जाए... 


योगेश गौर ने "एक रात, मिली, छोटी सी बात, आनंद, आजा मेरी जान, मंजिलें और भी हैं, बातों-बातों में, रजनीगंधा, मंजिल, आनंद महल, प्रियतमा, मजाक, दिल्लगी, अपने पराए, किराएदार, हनीमून, चोर और चांद, बेवफा सनम, जीना यहां, लाखों की बात" जैसी फिल्मों के गीत लिखे।


Post a Comment

और नया पुराने