नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने दिया स्पष्टीकरण, सुधारों का मतलब श्रम कानूनों को समाप्त करना नहीं!

                                                       


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन।
विभिन्न राज्यों द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर विभिन्न हलकों से चिंता जताई जा रही है। नीति आयोग ने इस बारे में चीजों को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए कहा है कि सरकार श्रमिकों के हितों का संरक्षण करने को प्रतिबद्ध है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने एक साक्षात्कार में कहा कि सुधारों का मतबल श्रम कानूनों को पूरी तरह समाप्त करना नहीं है। हाल के सप्ताहों में उत्तर प्रदेश और गुजरात सहित विभिन्न राज्य सरकारों ने मौजूदा श्रम कानूनों में या तो संशोधन किया है या संशोधन का प्रस्ताव किया है। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू प्रतिबंधों की वजह से उद्योग जगत बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उद्योग और कंपनियों को राहत के लिए राज्य सरकारों द्वारा यह कदम उठाया गया है। कुमार ने कहा, ‘मेरे संज्ञान में अभी आया है कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने अपने रुख को सख्त करते हुए राज्यों को स्पष्ट किया है कि वे श्रम कानूनों को समाप्त नहीं कर सकते हैं, क्योंकि भारत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में हस्ताक्षर करने वाले देशों में है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे में स्पष्ट है कि केंद्र सरकार का मानना है कि श्रम कानूनों में सुधार से मतलब श्रम कानूनों को समाप्त करने से नहीं है। सरकार श्रमिकों के हितों का संरक्षण करने को प्रतिबद्ध है।


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