प्रवासी मजदूरों का मसला : अखिलेश बोले- सरकार के दावों से सच्चाई कोसों दूर है


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। कोरोना लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों का मसला शांत होने के नाम नहीं ले रहा है। लॉकडाउन में छूट के साथ बस और रेलवे खुलने के बावजूद अभी भी हजारों मजदूर अपने परिवार संग पैदल चलने को मजबूर हैं। केंद्र की मोदी सरकार के दावे के मुताबिक 85 फीसदी रेलवे टिकट का वहन केंद्र और 15 फीसदी राज्य सरकार वहन करेंगी, लेकिन मजदूरों को टिकट खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। 


औरंगाबाद रेल हादसे में 15 प्रवासी मज़दूरों की मौत के बाद देश की सियासत में उबाल आ गया है। विपक्ष अपने-अपने तरीकों से मजदूरों के मुद्दों को उठा रहा है।  कांग्रेस जहां केंद्र की मोदी सरकार को घेरने में जुटी है, वहीं राज्यों में वहां के विपक्ष दलों ने मोर्चा संभाला हुआ है। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव में सरकार को आड़े हाथ लेते हुए मजदूरों का मुद्दा उठाया है।


अखिलेश यादव को सरकार के दावों पर यकीन नहीं है। उनका कहना है कि मजदूरों अपने घर लौटने के लिए भटक रहे हैं। लेकिन सरकार ने उनके लिए खाने-पीने तक का प्रबंध नहीं किया है। अपने ट्वीट में वह लिखते हैं, 'घर लौटने के लिए रास्तों में भटक रहे उप्र के मज़दूरों के लिए सरकार खाने-पीने का प्रबंध क्यों नहीं कर रही है? सरकार के दावों से सच्चाई कोसों दूर है, जैसे ये बेबस मज़दूर अपने घरों से...।'


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