कटक (ओडिशा)/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन।
ओडिशा हाईकोर्ट के एक जज ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है कि शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार के समान नहीं है। जस्टिस एसके पाणिग्रही ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि क्या बलात्कार कानूनों का उपयोग अंतरंग संबंधों को विनियमित करने के लिए किया जाना चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से संबंध बनाती हैं। जस्टिस पाणिग्रही ने एक निचली अदालत के बृहस्पतिवार के आदेश को दरकिनार कर दिया और बलात्कार के आरोपी की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को इस शर्त पर उसकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली कि वह जांच में सहयोग करेगा और कथित पीड़ित को धमकी नहीं देगा। जस्टिस पाणिग्रही ने अपने 12 पृष्ठ के आदेश में बलात्कार कानूनों पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि ‘बिना किसी आश्वासन के सहमति से भी संबंध बनाना स्पष्ट रूप से आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता।’
यह था मामला
घटना ओडिशा के कोरापुट जिले की है जहां पिछले साल नवंबर में 19 वर्षीय आदिवासी महिला की शिकायत पर बलात्कार के आरोपों के तहत एक छात्र की गिरफ्तारी हुई थी। केस के रिकॉर्ड के अनुसार, उस युवक और उसी गांव की युवती के बीच करीब 4 साल से शारीरिक संबंध थे। इस दौरान वह 2 बार गर्भवती हुई थी। महिला ने बाद में पुलिस शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि युवक ने उसकी मासूमियत का फायदा उठाते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे और शादी का वादा किया था। महिला ने दावा किया था कि आरोपी ने उसे गर्भपात की गोलियों का सेवन करके गर्भ गिराने के लिये मजबूर किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया, जो पिछले छह महीने से जेल में था।
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