...तो क्‍या अमेरिका की केवल आधी आबादी को ही उपलब्‍ध होगी वैक्‍सीन 

                   


वाशिंगटन।


दुनियाभर में कोरोना वायरस की काट के लिए वैज्ञानिक वैक्‍सीन बनाने में जुटे हुए हैं। इस मसले पर लोगों को क्‍या लगता है... एसोसिएटेड प्रेस यानी एपी (Associated Press) और एनओआरसी सेंटर फॉर पब्लिक अफेयर्स रिसर्च (NORC Center for Public Affairs Research) ने एक सर्वे किया है। सर्वे के मुताबिक, अमेरिका के लोगों को लगता है कि जिस तत्परता के साथ वैज्ञानिक कोरोना संक्रमण का टीका बनाने के काम में लगे हैं यदि इस काम में सफलता मिल भी जाती है तो देश की केवल आधी आबादी को ही यह वैक्‍सीन उपलब्‍ध हो पाएगी।


सर्वेक्षण के मुताबिक, 31 फीसद लोगों को यकीन नहीं है कि उनको यह टीका उपलब्‍ध हो पाएगा जबकि हर पांच में से एक शख्‍स का मानना है कि वह ऐसे टीके को नहीं लगवाएगा। सर्वे में पाया गया कि जिन लोगों ने टीका नहीं लगवाने की बात कही है उनमें से अधिकतर को स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा की चिंता है। वहीं स्वस्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने जनवरी तक देश में 30 करोड़ टीकों का भंड़ार होने का वादा किया है... ऐसे में यह वादा यदि नहीं पूरा हो पाया तो क्या होगा। कोलराडो के मेलानी ड्राइज कहते हैं कि वैक्‍सीन का साल भर में आने का मतलब है कि इसके साइड इफेक्ट की मुकम्‍मल जांच नहीं हो पाएगी।


राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान यानी एनएचआई के निर्देशक डॉ. फ्रांसिस कोलिन्स का कहना है कि सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। एनएचआई लाखों लोगों में टीकों का परीक्षण करने का प्लान बना रहा है जिससे यह साबित हो सके कि क्या कारगर और सुरक्षित हैं या नहीं... सर्वेक्षण में पाया गया कि जो लोग टीका लगवाना चाहते हैं वे खुद की, परिवार और समुदाय की सुरक्षा करना चाहते हैं। मालूम हो कि अमेरिका चाहता है कि किसी भी हाल में इस साल के अंत तक इसके लिए वैक्सीन बनकर तैयार हो जाए। इसके लिए किए जा रहे टेस्टिंग के प्रयासों में एक लाख से अधिक वॉलंटियरों को शामिल किया गया है।


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