जेनेवा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुरक्षा चिंताओं को लेकर कोरोना मरीजों पर मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन का परीक्षण फिलहाल रोक दिया है। यह जानकारी डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहैनम घेब्रयेसस ने सोमवार को दी। उल्लेखनीय है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन (एचसीक्यू) के कारगर होने की बात कही है। उन्होंने यहां तक बताया कि संक्रमण से बचने के लिए वे खुद यह दवा ले रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने एक आनलाइन प्रेस कांफ्रेस में बताया कि दवाओं के ट्रायल में शामिल लोगों के डाटा का परीक्षण करने वाले बोर्ड की समीक्षा के बाद एचसीक्यू का परीक्षण अस्थाई रूप से बंद करने का निर्णय लिया गया है। जिन लोगों पर अन्य दवाओं के परीक्षण चल रहे हैं वे फिलहाल जारी रखेंगे।
डब्ल्यूएचओ ने पहले ही कोरोना संक्रमण के इलाज में एचसीक्यू लेने के खिलाफ सलाह दी थी। हालांकि बाद में उसने परीक्षण के तौर पर इसकी मंजूरी दे दी थी। डब्ल्यूएचओ के इमर्जेसी प्रोग्राम के मुखिया डॉ. माइक रायन ने बताया कि सावधानी बरतने के लिए हम लोगों ने एचसीक्यू को परीक्षण से बाहर किया है।
दुनिया भर में जहां कोरोना महामारी का कहर बरपा हो रहा हैं अफ्रीका में अब तक कोई खास प्रभाव न दिखने से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की चिंता बढ़ा दी है। डब्ल्यूएचओ के विशेष दूत संबा सो ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमारा मानना है कि अफ्रीका में जांट की सुविधाएं न होने से यह बीमारी गुपचुप फैल रही है। ऐसे में हमें अफ्रीकी नेताओं को ज्यादा से ज्यादा जांच कराने को प्राथमिकता देने को तैयार करना होगा।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस एडहैनम घेब्रयेसस ने कहा कि अफ्रीका में कोरोना के सबसे कम मामले सामने आ पाए। पूरी दुनिया में सामने आए कुल मामलों के मात्र 1.5 फीसद संक्रमण आंकड़े अफ्रीका के हैं। इसी तरह मौतों की कुल संख्या का 0.1 फीसद मौतें ही अफ्रीका में हुई हैं। डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक मतशिडिशो मोएती ने कहा कि कुछ देशों ने बीमारी को बड़ी कीमत चुकाकर बीमारी को काबू किया है। इन उपायों के कारण ही अब तक बीमारी का कम असर दिख रहा है।
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