योगेंद्र यादव ने पूछा- वित्त मंत्री रोज-रोज इतनी लंबी अर्थहीन प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों करती हैं?


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। कोरोना संकट के मुद्देनजर केंद्र की मोदी सरकार ने भले ही 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के ऐलान कर दिया हो, लेकिन प्रवासी मजदूरों और किसानों का दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आर्थिक पैकेज पर अपनी तीसरी प्रेस वार्ता में फिर से किसानों के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया। लेकिन, पैकेज की तीसरी किस्त भी विपक्ष को नहीं रास आ रही हैं। 
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने भी आर्थिक पैकेज पर वित्त मंत्री की तीसरी प्रेस वार्ता पर प्रतिक्रियाएं दी हैं। यादव ने जहां कृषि व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार की 11 घोषणाओं पर सवाल उठाए, वहीं यह भी पूछ लिया कि वित्त मंत्री रोज-रोज इतनी लंबी अर्थहीन प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों करती हैं? स्वराज इंडिया के अध्यक्ष का मानना है कि वित्तमंत्री ऐसे ऐलान तो घंटे भर में भी कर सकती हैं।
क्या पैकेज संशोधित बजट था या...
अपने एक ट्वीट में योगेंद्र लिखते हैं, 'आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुआ क्या? क्या यह संशोधित बजट था या राष्ट्रीय कृषि नीति की घोषणा? इसका वर्तमान संकट से क्या संबंध था? कहीं खेल यह तो नहीं था कि टीवी पर एक घंटा फुटेज खानी है, किसान किसान बोलना है, अगले दिन हैडलाइन लगवानी है, और जेब से एक भी पैसा नहीं निकालना?'
सुधार के लिए 11 घोषणाएं तो हो गई लेकिन ...
अपने अगले ट्वीट में वह लिखते हैं, 'कृषि व्यवस्था में सुधार के लिए 11 घोषणाएं तो हो गई लेकिन यह नहीं बताया की उसमें नई बात क्या है? इनमे से कई घोषणाएं तो बजट में की जा चुकी थीं। क्या वित्त मंत्री एक संशोधित बजट पेश कर रही थी? यह पता नहीं लगा कि सरकार अपनी जेब से कितना पैसा डालेगी?'


कानून में बदलाव का लॉक डॉउन से क्या संबंध 
इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे यादव ने अपने तीसरे ट्वीट में पूछा, 'वित्त मंत्री ने यह नहीं समझाया कि कृषि कानून में बदलाव का लॉक डॉउन से क्या संबंध है? कृषि व्यापार पर बंदिश हटाना अच्छा है लेकिन अब क्यों? मछलीपालन, मधुमक्खी पालन और बागवानी की इन सुंदर योजनाओं से किसानों को इस संकट के दौरान क्या फायदा होगा?'


 


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