भारत को चीन के साथ संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए : पूर्व थल सेना प्रमुख


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। 
थल सेना के पूर्व प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉय चौधरी ने बुधवार को कहा कि यह याद रखा जाना चाहिए कि भारत 1962 की स्थिति में नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश को चीन के साथ पूर्ण युद्ध नहीं, बल्कि संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में सोमवार रात एक कर्नल सहित बीस भारतीय जवान शहीद हो गए। दोनों देशों के बीच यह पिछले 5 दशकों में सबसे बड़ा सैन्य टकराव है। 


रॉय चौधरी ने कहा कि 1962 के बाद दोनों पक्षों की ताकत कई गुना बढ़ गई है। उस समय दोनों देशों के बीच एक संक्षिप्त युद्ध हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘भारत 1962 में नहीं है, (और) हमें याद रखना चाहिए कि चीन भी 1962 में नहीं है।" इस ताजा झड़प में कई चीनी सैनिकों के भी मारे जाने की खबर है। यह पूछे जाने पर कि भारत को चीनी सेना की आक्रामकता का जवाब कैसे देना चाहिए, उन्होंने कहा, 'भारत को युद्ध से निचले स्तर के संघर्ष, लेकिन सीमा पर होने वाली झड़पों से ऊंचे स्तर के लिए तैयार रहना चाहिए।’'


बाइस नवंबर 1994 से 30 सितंबर, 1997 के बीच थल सेना के प्रमुख रहे रॉय चौधरी ने कहा कि भारत को इसके साथ ही कूटनीतिक रूप से भी मुद्दों को संभालना चाहिए। रॉय चौधरी ने कहा कि भारत को निश्चित रूप से तैयार रहना चाहिए क्योंकि चीन उस पाकिस्तान की तुलना में सैन्य रूप से बहुत मजबूत है जिससे भारत ने सफलतापूर्वक संभाला है। उन्होंने कहा कि चीन की अचानक आक्रामकता को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत द्वारा उसका साथ नहीं देने से जोड़ा जा सकता है। 



चीन विभिन्न मुद्दों के अलावा कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना कर रहा है।  रॉय चौधरी ने कहा कि दौलत बेग ओल्डी को जोडऩे के लिए भारत अपने क्षेत्र में सड़कों का निर्माण कर रहा है। दौलत बेग ओल्डी से जुडऩे के लिए भारत अपने क्षेत्र में सड़कें बना रहा है जो भारतीय वायु सेना की एक प्रमुख हवाई पट्टी है। उन्होंने कहा, ‘‘एक पुल बनाया जा रहा है, मुझे लगता है कि चीनी वह नहीं चाहते हैं, इसलिए उन्होंने इस पुल को अवरुद्ध करने की कोशिश करते हुए एकतरफा स्थिति बनायी है। इसी वजह से झड़प हुई।’ 



उन्होंने कहा, 'भारत ने अपनी क्षमता कई गुना बढ़ा ली है। दुर्भाग्यवश आर्थिक रूप से इतना अधिक नहीं। सैन्य रूप से हम चीन का मुकाबला कर सकते हैं (लेकिन) उसके लिए काफी धन चाहिए।' लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जे आर मुखर्जी ने कहा कि चीन ने जो किया है, उसका कारण भारत का अमेरिका और अन्य देशों के करीब जाना तथा कोरोना वायरस महामारी के लिए चीन की निंदा करना है।


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