दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता का निर्धारण समुद्री कानून संधि के आधार पर किया जाए : आसियान



मनीला। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं ने कहा कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के आधार पर दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता का निर्धारण किया जाना चाहिए। चीन द्वारा ऐतिहासिक आधार पर दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर दावा करने के खिलाफ दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं की यह अब तक की सबसे सख्त टिप्पणिण्यों में से एक है। दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संगठन (आसियान) के नेताओं ने अपना रुख साफ करते हुए वियतनाम में 10 देशों के संगठनों की ओर से बयान जारी किया। कोरोना वायरस की महामारी के चलते आसियान नेताओं का शिखर सम्मेलन शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित किया गया और लंबे समय से क्षेत्रीय संप्रभुता को लेकर चल रहा विवाद एजेंडे में शीर्ष पर रहा। आसियान के बयान में कहा गया, ‘हम दोहराते हैं कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि समुद्री अधिकार, संप्रभुता, अधिकार क्षेत्र और वैधता निर्धारित करने के लिए आधार है।’ उल्लेखनीय है कि इस अंतरराष्ट्रीय संधि में देशों के समुद्र पर अधिकार, सीमांकन और विशेष आर्थिक क्षेत्र को परिभाषित किया गया है तथा इसी आधार पर मछली पकड़ने और संसाधनों का दोहन करने का अधिकार मिलता है। आसियान के बयान में कहा गया, ‘संयुक्त राष्ट्र की समुद्री क़ानून संधि ने कानूनी ढांचा मुहैया कराया है जिसके अंतर्गत सभी समुद्री गतिविधियां होनी चाहिए।’


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