कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर घमासान


भोपाल/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन।


मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा उप चुनाव में 15 से ज्यादा सीटें जीतकर दोबारा सत्ता में पहुंचने का ख्वाब देख रहे कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ फिर मुश्किलों में फंसते दिख रहे हैं। सरकार गिर जाने के बाद भी प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी खत्म नहीं हुई और न ही पार्टी के नेताओं ने इससे कोई सबक लिया। अब उपचुनाव के टिकट को लेकर पार्टी में घमासान मची हुई है। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी के चलते ही इसी साल 23 मार्च को ऐन होली वाले दिन गिर गई थी। 


ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही उनके खेमे के 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। इन 22 के साथ दो और सीटों को मिलाकर 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तैयारी चल रही है। फिलहाल इसके लिए प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। खेमेबाजी का नतीजा देख चुके राज्य के कांग्रेसी अभी बाज नहीं आ रहे हैं और उपचुनाव के जरिए सत्ता में वापसी की कोशिशों को पलीता लगाने में लगे हैं। प्रदेश कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ को एक बार फिर गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है।


जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से 16 सीट ग्वालियर-चंबल संभाग की है। यह इलाका सिंधिया घराने का है। इलाके की पूरी सियासत महल के इर्दगिर्द घूमती है। सत्ता में चाहे भाजपा रही हो या कांग्रेस। भाजपा के जन्मकाल से यह संभाग उसका गढ़ रहा है। चाहे राजमाता विजयाराजे सिंधिया रही हों या माधवराव सिंधिया और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया। 


यहां पार्टी से ज्यादा ग्वालियर राजमहल को अहमियत मिलती रही। अब सिंधिया भाजपा में हैं और उनके समर्थक भी साथ हैं। ऐसे में इस इलाके में भाजपा की स्थिति और मजबूत हो चुकी है। सिंधिया और ग्वालियर राजमहल को चुनौती देने के लिए कमलनाथ ने जिताऊ उम्मीदवार की तलाश शुरू की तो भाजपा और कांग्रेस के पूर्व बागियों पर दांव लगाने की सोंची, लेकिन इससे उनकी पार्टी में ही बगावत की नौबत बन आई है।


सूत्रों की मानें तो कमलनाथ भिंड के मेहगांव विधानसभा सीट से राकेश सिंह चतुर्वेदी को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। इसी तरह भाजपा छोड़कर वापस लौटे पुराने कांग्रेसी प्रेम चंद्र गुड्डू को भी कमलनाथ उम्मीदवार बनाने का मन बनाए हुए है। इसी तरह दूसरी सीटों पर भी वे प्रत्याशी तय कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय सिंह राहुल इसके खिलाफ हैं। अजय सिंह पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे हैं। वहीं दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले गोविंद सिंह भी चतुर्वेदी और गुड्डू को प्रत्याशी बनाए जाने की मुखालफत कर रहे हैं। 


चर्चा तो यहां तक है कि प्रत्याशी चयन के संबंध में बुलाई गई बैठक में ही इन नेताओं और इऩके समर्थक पदाधिकारियों ने कमलनाथ को सीधे इस्तीफे की धमकी दे दी। पार्टी की बगावत रोकने के लिए कमलनाथ ने फिलहाल यह कह बात टाल दी कि टिकट सर्वे के आधार पर दिया जाएगा। सूत्र बता रहे हैं कि कमलनाथ ने उपचुनाव की रणनीति बनाने का काम चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कंपनी को दिया है। यही कंपनी जिताऊ उम्मीदवार के लिए भी सर्वे कर रही है।


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