कोरोना संक्रमण: केंद्र सरकार की बड़ी सरकार की लापरवाही, 70 फीसद मरीजों का डेटा ही नहीं रखा गया


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। 


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और एक पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की तरफ से देश में कोरोना वायरस को लेकर स्टडी की है। जिसमें उन्होंने पाया है कि कोरोना पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा हो रहा है। इसके अलावा यह स्टडी बताती है कि देश में 10 लाख में से 41.6 % पुरुषों की और 24.3 प्रतिशत महिलाओं की कोरोना जांच हुई है।


इसके अलावा इस स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि सरकार ने 20 जनवरी से 30 अप्रैल तक जितने लोगों की टेस्टिंग की है, उनमें से 70 फीसद का डाटा सरकार के पास ही नहीं है। यानि सरकार ने इन मरीजों का डेटा ही संभाल कर नहीं रखा है। इसके बाद एजेंसियों को कहना है कि देश में कोरोना वायरस कैसे फैल रहा है इसे समझना भी मुश्किल है।


इस स्टडी में कुछ आंकड़े दिए गए है, जिसमें बताया गया है कि देश में 20 जनवरी से 30 अप्रेल तक कोरोना पॉजिटिव मरीजों में 28 फीसद ऐसे थे जिनमें कोई लक्षण नहीं मिला था। इसके अलावा स्टडी में 10 लाख 21 हजार 528 टेस्ट कोरोना टेस्टों के आधार पर और फिर 40 हजार 184 कोरोना पॉजिटिव मरीजों का डेटा एनालाइस करने के बाद यह भी कहती है कि सरकार को ज्यादा से ज्यादा कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और टेस्टिंग करने की जरूरत है।


डेटा न होने के बहुत नुकसान
70% मरीजों का डेटा नहीं होना सरकार की लापरवाही दिखाता है। इसका पहला नतीजा तो यह है कि पॉजिटिव मरीजों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं हो सकी है क्योंकि हमारे पास 22 जनवरी से 30 अप्रैल के कोरोना की जांच के लिए होने वाले आरटी-पीसीआर के जितने टेस्ट हुए, उनमें से 70.6% लोगों का डेटा ही नहीं था। इसका नतीजा ये हुआ कि पॉजिटिव मरीजों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी ठीक तरीके से नहीं हो सकी जबकि पूरी दुनिया में कोरोना जैसी बीमारी को रोकने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बहुत जरूरी हथिया के रूप में काम आई है।  


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