शरीर के कुछ प्रोटीन बनते हैं कोरोनावायरस संक्रमण के गंभीर होने का प्रमुख कारण


लंदन। 


वैज्ञानिकों ने खून में कुछ ऐसे प्रोटीन की पहचान की है, जो कोविड-19 के लक्षण गंभीर होने का कारण बनते हैं। इन प्रोटीन बायोमार्कर की मदद से यह जानना संभव हो सकेगा कि किस मरीज में बीमारी गंभीर हो सकती है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के वैज्ञानिकों ने इस संबंध में शोध को अंजाम दिया है।


वैज्ञानिकों ने बताया कि कोविड-19 का वायरस कुछ लोगों में गंभीर लक्षणों का कारण बनता है। कई मरीजों में लक्षण इतने गंभीर हो जाते हैं कि मरीज की मौत हो जाती है, वहीं कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं, जिनमें कोई खास लक्षण उभरे बिना ही वायरस खत्म हो जाता है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 31 महिला एवं पुरुष मरीजों को शामिल किया। इनमें बीमारी की गंभीरता का अलग-अलग स्तर देखा गया था।


अध्ययन के दौरान खून में 27 ऐसे प्रोटीन की पहचान हुई, जिनकी मात्रा बीमारी की गंभीरता के हिसाब से कम-ज्यादा थी। बाद में 17 अन्य मरीजों व 15 स्वस्थ लोगों के खून की जांच से भी इन प्रोटीन बायोमार्कर की पुष्टि की गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन बायोमार्कर की मदद से चिकित्सकों को यह जानने में मदद मिलेगी की किन मरीजों में बीमारी गंभीर हो सकती है।


ऐसे मरीजों का अंदाजा लगाना संभव हो सकेगा, जिन्हें इलाज के दौरान आइसीयू में भर्ती करना पड़ सकता है। समय रहते इस बात की जानकारी मिल जाने से ऐसे लोगों को बेहतर इलाज देना और उनकी जान बचाना संभव हो सकता है। वैज्ञानिक इस आधार पर जांच की नई किट भी विकसित करने की तैयारी में हैं। इससे कोविड-19 की जांच के साथ ही इस बात का अनुमान लगाया जा सकेगा कि किस मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है। 


कोरोना वायरस पॉज़ीटिव लोग टेस्ट में नेगेटिव पाए जाते हैं। टेस्ट का ग़लत आना न सिर्फ मरीज़ों के लिए खॉतरनाक है बल्कि उन लोगों के लिए भी जिन्हें मरीज़ अनजाने में संक्रमित कर देते हैं। टेस्ट के ग़लत नतीजे आने का मतलब ये है कि एक व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर भी टेस्ट में वायरस को न पकड़ पाना।


अभी तक कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए दो तरह के टेस्ट उपलब्ध हैं, पहला RT-PCR टेस्ट और दूसरा एंटीबॉडी टेस्ट। इनमें से RT-PCR टेस्ट यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमेरेस चेन रिएक्शन टेस्ट ऐसी स्थिति में बेस्ट है। RT-PCR टेस्ट में मरीज़ के नाक और मुंह के काफी अंदर से सैम्पल लिया जाता है। जबकि एंटीबॉडी टेस्ट ब्लड सैम्पल की मदद से किया जाता है।


 


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