एक महीने के दौरान 30 हाथियों की मौत, पशु अधिकार संगठन ने जांच की मांग की


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। पशु अधिकार संगठन एफआइएपीओ ने केंद्र सरकार से देश भर में एक महीने के दौरान 30 हाथियों की मौत होने की जांच के लिए समिति गठित करने का अनुरोध किया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर को पत्र के साथ अर्जी में भारतीय पशु संरक्षण संगठन ने 27 मई से 29 जून के बीच हाथियों की मौत से संबंधित खबरों को संलग्न किया है।


लिखित अर्जी में हाथियों की मौत की जांच समिति में जांच एजेंसियों, वन विभाग, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों (वन्यजीव विशेषज्ञ और वैज्ञानिक समेत) को शामिल करने की सिफारिश गई है। इसके अलावा हाथियों को ¨हिंसक अपराधों से बचाने के लिए दीर्घ अवधि का प्रभावी नीतिगत बदलाव करने का प्रस्ताव किया गया है।


एफआइएपीओ ने कहा है कि उल्लेख किए गए अधिकांश मामले 12 राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, असम, मेघालय, उत्तराखंड और केरल के हैं जिसमें ¨हसा हुई। कुछ मामले मौत लाभ के लिए गैरकानूनी शिकार से जुड़े हैं।


हाथियों की मौत पर छत्तीसगढ़ में सियासत तेज


वहीं, दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में हर चौथे दिन हो रही हाथियों की मौत पर सियासत गरम हो गई है। हाथी की मौत को रोकने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन अभी तक परिणाम नकारात्मक ही रहा है। भोजन की तलाश में खानाबदोश हाथी जंगल छोड़ आबादी का रुख न करें, इसके लिए वन विभाग ने पांच साल पहले हाथी-द्वंद्व प्रबंधन की कार्ययोजना बनाई। इस योजना को गजराज परियोजना नाम दिया गया है।



बता दें कि वर्ष 2018 में खनिज न्यास मद से 13 लाख रुपये खर्च कर उद्यानिकी विभाग ने 100 ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग दी, लेकिन किट खरीदी नहीं की। क्रेडा की मदद से वन विभाग ने वर्ष 2015-16 में 11 लाख खर्च कर 25 किलोमीटर की सोलर फेंसिंग की गई थी। सात गांव में संयंत्र लगाने थे और फेंसिंग से 72 किलोमीटर कवर होना था। 25 किलोमीटर के बाद से दायरा आगे नहीं बढ़ सका।


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