नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेन्ट्रल विस्टा को 17 जून को दी गई पर्यावरण मंजूरी के खिलाफ नई यााचिका दायर करने की बुधवार को अनुमति प्रदान कर दी। लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक के तीन किलोमीटर के दायरे में बनने वाली इस परियोजना में नया संसद भवन और कई अन्य सरकारी भवनों का निर्माण किया जायेगा।
जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान को एक सप्ताह के भीतर नयी याचिका दायर कर सेन्ट्रल विस्टा परियोजना की पर्यावरण मंजूरी को चुनौती देने की अनुमति दी। पीठ ने कहा कि यह याचिका दायर होन के बाद एक सप्ताह के भीतर केन्द्र सरकार अपना जवाब दाखिल करेगी शीर्ष अदालत ने नई दायर की जानी वाली याचिका को सुनवाई के लिये 17 अगस्त से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध किया है। हालांकि, पीठ ने कहा कि वह नही कह सकती कि इस मामले की न्यायालय में उस समय सुनवाई होगी या नहीं।
कोविउ-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के बाद से ही शीर्ष अदालत सहित देश की सभी अदालतों में वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से ही मुकदमों की सुनवाई हो रही है। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम श्याम दीवान को एक सप्ताह में याचिका दायर करने और केन्द्र को याचिका की प्रति मिलने के बाद एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने की अनुमति देते हैं। इस मामले को इसके दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाये।’’ पीठ सेन्ट्रल विस्टा परियोजना को लेकर दो स्थानांतरण याचिकाओं सहित कुल सात याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। ये याचिकायें इस परियोजना को दी गयी तमाम मंजूरियों के खिलाफ राजीव सूरी और सेवानिवृत्त लेफ्टीनेंट कर्नल अनुज श्रीवास्तव जैसे व्यक्तियों ने दायर की हैं।
इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि यह मामला मूल रूप से भूमि के उपयोग में बदलाव की अनुमति के खिलाफ है और फिर इस परियोनजा को 17 जून को दी गयी पर्यावरण मंजूरी भी एक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई की अनेक वजह हैं और परियोजना के लिये पर्यावरण मंजूरी को राष्ट्रीय हरित अधिकरण में चुनौती दी जा सकती है और शीर्ष अदालत इसे चुनौती देने के अवसर से वंचित करने के लिये अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। पीठ ने कहा कि दो अन्य याचिका, जिनमें पर्यावरण मंजूरी के मुद्दे उठाये गये हैं और पर्यावरण मंजूरी पर नयी याचिका शीर्ष अदालत के आदेशों से शासित होगी।
राजीव सूरी की ओर से अधिवक्ता शिखिल सूरी ने कहा कि एक लंबित याचिका में सिर्फ संसद परियोजना के लिये पर्यावरण मंजूरी को चुनौती दी गयी है लेकिन अब पूरी सेन्ट्रल विस्टा परियोजना को पर्यावरण मंजूरी का मुद्दा उठाया गया है। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह हमारे बनाम उनके का मामला नहीं है। हमारी संसद का निर्माण हो रहा है। भविष्य में रक्षा और वित्त मंत्रालय के भवनों का भी निर्माण किया जायेगा। न्यायालय के समक्ष ‘निजी व्यक्ति’ और ‘जनभावना वाले लोग’ आये हैं।’’ दीवान ने कहा कि इस परियोजना को प्रत्येक स्तर पर उस जांच से गुजरना होगा जिसे एक नागरिक उठा सकता है। संसद की नयी इमारत के निर्माण और मौजूदा इमारत के नवीनीकरण के लिये मंजूरी दी गयी है।
परियोजना को पर्यावरण मंजूरी दिये जाने का विरोध करते हुये दीवान ने कहा कि इसमें टुकड़े टुकड़े की नीति अपनाई गयी है जबकि पूरी सेन्ट्रल विस्टा परियोजना को ही नये नगरीय परियोजना के रूप में पंजीकृत करने की आवश्यकता थी और इसके बाद ही पर्यावरण मंजूरी दी जानी चाहिए थी। हाल ही में सीपीडब्लूडी ने इस परियोजना का समर्थन करते हुये इसे चुनौती देने वाली याचिकायें खारिज करने का अनुरोध किया था।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि सेन्ट्रल विस्टा परियोजना के लिये प्राधिकारियों द्वारा वस्तुस्थिति में किसी भी प्रकार का बदलाव वे अपने जोखिम पर करेंगे । न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि यह परियोजना, जिसमे नया संसद भवन औरकई सरकारी इमारतें शामिल हैं, उसके फैसले के दायरे आयेंगी। इन याचिकाओं में सेन्ट्रल विस्टा कमेटी द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र दिये जाने और संसद भवन की नयी इमारत के निर्माण के लिये पर्यावरण मंजूरी को भी चुनौती दी गयी है।
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