शहर के तालाबों में कचरे की डम्पिंग किये जाने पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब


जबलपुर।/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जबलपुर शहर के तालाबों को कचरा घर बनाए जाने और अतिक्रमणों के जरिए कब्जा किए जाने के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ नगर निगम, जबलपुर को कचरा डंपिंग व इंक्रोचमेंट सहित अन्य तमाम पहलुओं पर बाकायदे शपथपत्र पर जवाब पेश करने निर्देश दे दिया गया। इनमें राज्य शासन व नगर निगम द्वारा अब तक रखरखाव पर खर्च की गई राशि का भी ब्यौरा देना होगा। मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को निर्धारित की गई है।


मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता पंडा की मढ़िया गढ़ा, जबलपुर निवासी युवा अधिवक्ता विजित साहू की ओर से अधिवक्ता ब्रहमेंद्र पाठक ने पक्ष रखा।


उन्होंने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए दलील दी कि यह मामला वैसे तो जनहित याचिकाकर्ता के निवास के नजदीक स्थित इमरती तालाब विशेष से संबंधित है, किंतु शहर के सभी तालाबों का हाल एक सा है। बावजूद इसके कि ये सभी तालाब गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावती के काल में जल संरक्षण व संवर्धन की दृष्टि से निर्मित कराए गए थे। एक जमाने में जबलपुर 52 ताल-तलैयों का शहर था, लेकिन भूमाफिया की बुरी नजर लग गई। आलम यह है कि एक-एक करके कई खूबसूरत तालाबों को पूरकर कांक्रीट जंगल खड़े कर दिए गए हैं। इसी कड़ी में पंडा की मढ़िया से सटे इमरती तालाब को चारों तरफ से अतिक्रमण व कचरा डंपिंग के जरिए पूरा जा रहा है। यह काम बड़ी चालाकी से धीरे-धीरे किया जा रहा है। शिकायत के बावजूद कार्रवाई नदारद होने से अतिक्रमणकारियों व कचरा डालने वालों के हौसले बढ़े हुए हैं।


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