1530 ईसवी में गोंड शासक संग्राम शाह ने बनवाया था तालाब
जबलपुर।/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। ऐतिहासिक संग्रामसागर तालाब पुरातन तो है ही पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। संग्रामसागर दो पहाड़ियों के बीच है और पहाड़ियों की खाई सीधे सैनिक सोसायटी होते हुए शहर में मिलती है। इस तालाब को संवारने के प्रयास तो हुए लेकिन कुछ काम कराने के बाद इसे अधूरा ही छोड़ दिया गया।
जबलपुर के 52 ताल तलैयों में से एक संग्राम सागर है इसे न तो जिला प्रशासन और न ही नगर निगम तवज्जो दे रहा है। इस तालाब के आस-पास पर्यटकों के लिए उद्यान बनाया गया है जो मध्यप्रदेश पर्यटन से भी वित्तपोषित है। इसके सौंदर्यीकरण के लिए लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर नाममात्र का निर्माण ही दिखता है। तालाब को देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि यहां कभी सफाई हुई होगी। संग्राम सागर में पर्यटन विकास के लिए सांसद निधि से 30 लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं। जबकि मप्र पर्यटन विकास निगम द्वारा भी एक करोड़ 22 लाख रुपये की लागत से कार्य कराए गए। एक करोड़ से स्मार्ट सिटी ने काम किया लेकिन जितना भी काम हुआ सब पर पानी फिरता दिख रहा है।
संग्राम सागर को सोलहवीं सदी के आसपास लगभग 1530 ईसवी में गोंड शासक संग्राम शाह ने बनवाया था। इस तालाब के बीच आमखास भवन के अवशेष हैं। बताया जाता है कि यहां गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावती का दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम लगा करता था। मतलब यहां गुप्त बैठकें होती थीं। यह तालाब सूखा पड़ने पर भी कभी नहीं सूखता था। ब्रिटिश काल में इसे जबलपुर का एयर कंडीशनर भी कहा जाता था। यह स्थल चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा है। यहां भगवान भैरव के बालरूप बटुक भैरव का मंदिर भी संग्राम शाह ने बनवाया था, जिसे तांत्रिक मठ का नाम दिया गया। आज इस मंदिर को बाजनामठ के नाम से जाना जाता है। यह देश का पहला तांत्रिक मठ है। इस तालाब के आसपास गोंडकाल के कई भग्नावशेष भी देखने मिल जाएंगे।
करोड़ों रुपये की लागत से तालाब के किनारे सौदर्यीकरण कराया गया। जिसमें सोलर लाइट लगाई गई लेकिन सभी सोलर लाइटें टूट गईं। बैटरी चोरी हो गईं। जिसके बाद दोबारा साधारण गार्डन लाइट लगाई गई। जिसपर भी असामाजिक तत्वों की नजर गिर गई और लाइटें गायब हो गई हैं। जबकि कई लाइटों में टूट-फूट तक हो गई।
पूरा तालाब जलकुंभियों से भर गया है। बीते एक वर्ष पूर्व नगर निगम ने तालाब से कचड़ा साफ कराया था जिसके बाद दोबारा तालाब में जलकुंभियां और आसपास का कचरा जमा हो गया है। आधे तालाब में केवल जलकुंभियां ही नजर आ रही हैं।
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