5 महीने के बाद श्रद्धालुओं के लिए खुले वैष्णोदेवी मंदिर के कपाट


जम्मू/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित प्रसिद्ध माता वैष्णोदेवी मंदिर के कपाट श्रद्धालु के लिये खोल दिये गए हैं। कोरोना वायरस के कारण करीब 5 महीने तक बंद रहने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में इस मंदिर समेत अन्य धार्मिक स्थलों को रविवार सुबह भक्तों के लिए खोल दिया गया। जम्मू से मंदिर दर्शन के लिए आए 12 सदस्यीय समूह के खुशविंदर सिंह ने कहा, ‘मैं महीने में कम से कम एक बार मंदिर दर्शन के लिए आता था। मंदिर खुलने के पहले ही दिन यहां आकर मैं सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।' सिंह कटरा स्थित आधार शिविर में तड़के 4 बजे ही पहुंच गए। पवित्र गुफा के दर्शन करने वाला यह पहला जत्था था। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के दरवाजे 6 बजे फिर खुले। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश कुमार ने बताया, ‘कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 18 मार्च को एहतियाती तौर पर वैष्णो देवी यात्रा रोक दी गई थी। अब जब प्रशासन ने धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने का फैसला किया है तो बोर्ड ने इस भयावह संक्रामक रोग की चुनौती को देखते हुए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं।' पहले हफ्ते में प्रतिदिन 2,000 श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर सकेंगे जिनमें से 1,900 जम्मू-कश्मीर से होंगे तथा बाकी के 100 लोग अन्य प्रदेशों से होंगे।


 


10 साल से छोटे या 60 साल से ऊपर के लोगों, गर्भवती महिलाओं को इजाजत नहीं


लॉकडाउन की पाबंदियों का तरीके से पालन हो इसके लिए पुजारियों, मंदिर प्रबंधकों और दूसरे लोगों की कमेटियों का भी गठन किया गया है। लक्ष्मी नारायण मंदिर ट्रस्ट गांधीनगर के अध्यक्ष पूर्व मंत्री गुलचौन सिंह चाढ़क ने कहा कि मंदिर खोलने से पहले इस बात का ध्यान रखा गया है कि शारीरिक दूरी बने रहे। बार-बार सैनिटाइजेशन होती रहे। मंदिर में दर्शनों के लिए आने वाले सभी श्रद्धालुओं का नाम पता और मोबाइल नम्बर लिखने के लिए रजिस्ट्र लगाया गया है। वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ रमेश कुमार ने बताया कि रेड ज़ोन या अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड-19 टेस्ट अनिवार्य होगा। 10 साल से छोटे या फिर 60 साल से ऊपर के लोगों के साथ ही गर्भवती महिलाओं को प्रथम चरण में यात्रा करने की इजाजत नहीं होगी। हर श्रद्धालु को मास्क या फिर फेस शिल्ड पहनना अनिवार्य होगा और शारीरिक दूरी का भी ध्यान रखना होगा। प्रथम चरण में दर्शन के लिए वैष्णो देवी भवन की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं को केवल पारंपरिक मार्ग से ही जाना होगा और दर्शन के बाद वापस नए ताराकोट मार्ग से आना होगा।


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