बिहार में साढ़े तीन लाख शिक्षकों की बल्ले-बल्ले, नई सेवा शर्त लागू


पटना/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन।बिहार सरकार ने नई सेवा शर्त नियमावली को राज्य कैबिनेट की मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार साढ़े तीन लाख से अधिक शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का लाभ सितंबर, 2020 से ही दिया जाएगा। वहीं इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसका लाभ एक अप्रैल, 2021 से मिलेगा। इसे आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तोहफे के रूप में देखा जा रहा है। 



शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने कहा : 


- ईपीएएफ में 13 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार देगी। इसमें 12 प्रतिशत शिक्षकों के पीएफ खाते में तथा एक प्रतिशत राशि ईपीएफओ को जाएगी।


- शिक्षक भी 12 प्रतिशत की अपनी हिस्सेदारी देंगे।


- ईपीएफ का लाभ दिया जाना भी एक तरह से वेतन वृद्धि ही है।


- इसमें अंतर्गत पेंशन का लाभ भी मिलेगा।


- शिक्षकों की मृत्यु पर इसमें ढाई से छह लाख तक का राशि भी देने का प्रावधान है। 


- ईपीएफ का लाभ दिए जाने पर राज्य सरकार पर सालाना 815 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पडेगा।


- इसी प्रकार वेतन वृद्धि से सालाना 1950 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।


- कुल 2765 करोड़ अतिरिक्त खर्च होंगे।


- राज्य सरकार की इच्छा थी कि शिक्षकों को वेतन वृद्धि का लाभ इसी वित्तीय वर्ष से दिया जाए। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण राज्य की आर्थिक  स्थिति अभी ऐसी नहीं है। इस कारण इसका लाभ अगले वित्तीय वर्ष से दिया जाएगा। इ


- माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति में एक साल तक अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य करने वाले को मेधा अंक में पांच अंकों का वेटेज मिलेगा। ऐसे चार हजार शिक्षक अभी हैं। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त शिक्षकों का वेतन भी अब अन्य के साथ में जाएगा, तऋकि समय पर वेतन भुगतान हो। 


ऐच्छिक स्तानांतरण का लाभ 
महिला और दिव्यांग शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को अपने नियोजन इकाई तथा अपने जिले से बाहर एक बार ऐच्छिक स्थानांतरण का लाभ मिलेगा। वहीं पुरुष शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को इसका लाभ आपसी सहमति (पारस्परिक) से मिलेगा। आरके महाजन ने कहा कि कई महिला शिक्षक थी, जो शादी से पहले से नियुक्त थी, पर बाद में उन्हें दिक्कत होने लगी। इस फैसले से ऐसी महिला शिक्षकों को भी काफी लाभ होगा। 


प्रोन्नति का लाभ
प्राथमिक से मध्य विद्यालय तथा माध्यमिक विद्यालय से उच्च माध्यमिक विद्यालय में योग्य शिक्षकों की प्रोन्नति होगी। मध्य और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 50 प्रतिशत पद प्रोन्नति से ही भरे जाएंगे। वे प्रचार्य भी बन सकेंगे। 


सेवा की निरंतरता
उच्च वेतनमान अथवा उच्च कोटि में नियुक्ति होने पर सेवा निरंतरता का लाभ मिलेगा। हालांकि वरीयता में इसका लाभ नहीं मिलेगा। 


मातृत्व अवकाश 180 दिनों का, पितृत्व अवकाश भी
महिला शिक्षकों का मातृत्व अवकाश को 135 दिनों से बढ़ाकर 180 दिनों का कर दिया गया  है। साथ ही अब शिक्षकों को 15 दिनों का पितृत्व अवकाश भी मिलेगा। यह प्रथम दो बच्चों तक मिलेगा। 


अध्ययन अवकाश
वर्तमान  में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों कासात साल की सेवा के बाद अध्ययन अवकाश तीन सालों के लिए मिलते थे। अब यह अकाश तीन साल की सेवा के बाद ही मिलेगा। यह अवकाश अवैतनिक होगा। 


अर्जित अवकाश का लाभ 
अर्जित अवकाश का लाभ भी अब शिक्षकों को दिया जाएगा। हर साल 11 दिनों का अर्जित अवकाश दिया जाएगा, जो अधिकतम 120 दिनों के लिए संचित होगा। 


अनुकंपा का लाभ
शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों की सेवाकाल में मुृत्य की स्थिति में वर्तमान में आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर शिक्षक के पद पर ही नियोजन  का प्रावधान है। शिक्षक के पद पर नियोजन के लिए शेक्षणिक अर्हता अनिवार्य है। इस कारण कइयों का नियोजन रुका हुआ है। अब ऐसे स्थिति में माध्यमिक विद्यालयों में विद्यालय सहायक एवं विद्यालय परिचारी के पद के सृजन और इन पर शिक्षक के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियोजन का निर्णय लिया गया है। पूर्व में जो मृत हो गए हैं, उनके आश्रितों को भी इसका लाभ मिलेगा। 


पांच सालों में 60 प्रतिशत वेतन बढ़ा
आरके महाजन ने कहा कि एक जुलाई 2015 में इन शिक्षकों के लिए वेतनमान लागू किया गया। उस समय 20 प्रतिशत वेतन वृद्धि की गई। 2017 में सातवें वेतनमान के अनुरूप 17 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की गई। वर्तमान में ईपीएफ को मिलाकर करीब 20 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की जा रही है। इस प्रकार पांच सालों में 60 प्रतिशत वेतन बढ़ा। 


Post a Comment

और नया पुराने