चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है

राहत इंदौरी की मशहूर शायरी



भोपाल/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। मशहूर शायर राहत इंदौरी का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे। उन्हें इंदौर के अरविंदो अस्तपाल में भर्ती कराया गया था। आज सुबह राहत इंदौरी ने ट्वीट कर कोरोना होने की जानकारी दी थी। 


राहत इंदौरी की मशहूर शायरी : 


1. सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।


2. मुझे गिलास में कैद कर रखना वर्ना। सारे शहर का पानी शराब कर दूंगा।।


3. उस की याद आई है, साँसों ज़रा आहिस्ता चलो धड़कनो से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।


4. दो गज सही ये मेरी मिल्कियत तो है ऐ मौत तूने मुझको ज़मींदार कर दिया।


5. न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा। 


6. दोस्ती जब किसी से की जाए, दुश्मनों की भी राय ली जाए। 


7. शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम, आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे। 


8. आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो। 


9. बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ। 


10. नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है। 


11. हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे, कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते। 


12. रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है। 


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