चीन को संदेश, भारत की आस्था शांति में, अशांति फैलाई तो मिलेगा करारा जवाब


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सीमा गतिरोध के बीच चीन को परोक्ष संदेश देते हुए शुक्रवार को कड़े शब्दों में कहा कि भारत की आस्था शांति में है, लेकिन किसी भी आक्रामक प्रयास का वह मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में चीन का नाम लिए बिना कहा, ‘आज जब विश्व समुदाय के समक्ष आई सबसे बड़ी चुनौती (कोविड-19) से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है, तब हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया।’


पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में बलिदान देने वाले सशस्त्र बलों के जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कोविंद ने कहा कि उनके शौर्य ने यह दिखा दिया है कि हमारी आस्था शांति में होने पर भी, कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरा देश गलवान घाटी के शहीदों को नमन करता है।


राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का जिक्र किया और विदेशी निवेशकर्ताओं की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वयं सक्षम होना है, दुनिया से अलगाव या दूरी बनाना नहीं।


उन्होंने कहा कि राष्ट्र उन सभी डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों का ऋणी है जो कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं। दुर्भाग्य से उनमें से अनेक योद्धाओं ने इस महामारी का मुकाबला करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया है। वे हमारे राष्ट्र के आदर्श सेवा योद्धा हैं। इन कोरोना योद्धाओं की जितनी भी सराहना की जाए, कम है।


उन्होंने कहा कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूमधाम नहीं होगी। इसका कारण स्पष्ट है, पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है जिसने जनजीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है। 


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