पटना/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। बिहार के उद्योग मंत्री और जद (यू) के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक को पार्टी से निष्कासित किए जाने के साथ ही राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया है। जद(यू) के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। अटकलें लगाई जा रही थीं कि रजक जद (यू) छोड़ सकते हैं क्योंकि वह अपनी पार्टी और उद्योग सचिव एस सिद्धार्थ के साथ खुश नहीं थे, जिनके साथ उनके विभाग चलाने को लेकर मतभेद थे।
पार्टी से निकाले जाने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुशंसा पर राज्यपाल फागू चौहान ने उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया है। रविवार की देर शाम राजभवन ने प्रेस बयान जारी कर उन्हें राज्य मंत्रिपरिषद से तत्काल प्रभाव से निकाले जाने की जानकारी दी।
बताया जा रहा है कि जद (यू) की ओर से अरुण मांझी को अधिक महत्व दिए जाने से भी श्याम रजक नाराज चल रहे थे। अरुण मांझी इन दिनों श्याम रजक के विधानसभा क्षेत्र फुलवारी शरीफ का लगातार दौरा कर रहे हैं। रजक को आशंका थी कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जद (यू) उन्हें टिकट नहीं दे सकता है। माना जा रहा है कि रजक सोमवार को अपनी पुरानी पार्टी राजद में शामिल हो सकते हैं। रजक राज्य में राजद की सरकार में मंत्री थे और 2009 में वह राजद छोड़कर जद (यू) में शामिल हुए थे।
रविवार सुबह से ही श्याम रजक के जद (यू) छोड़कर राजद में जाने की चर्चा जोरों पर थी। दोपहर में जब रजक ने जद (यू) में उपेक्षित होने का आरोप लगाया तो इस चर्चा को बल मिला। इसके बाद शाम 7.15 बजे पहले जद (यू) ने उनपर कार्रवाई करते हुए पार्टी से निकाल दिया। प्रदेश जदयू अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने दल-विरोधी गतिविधयों के कारण पार्टी उनको प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करते हुए जद (यू) से बाहर का रास्ता दिखाया।
श्याम रजक जब राजद में थे उस समय उनकी गिनती लालू प्रसाद के सबसे करीबी नेताओं में होती थी। रामकृपाल यादव भी तब राजद में थे और लालू प्रसाद के काफी करीब थे। लिहाजा राजद में राम-श्याम की जोड़ी की चर्चा हर जगह होती थी, लेकिन श्याम रजक अचानक जद (यू) में चले गए। अब फिर बताया जा रहा है कि जद (यू) में रजक सहज नहीं महसूस कर रहे थे। लिहाजा उनके राजद में जाने की अटकलें तेज हो गई हैं।
उधर श्याम रजक ने इस संबंध में पूछे जाने पर साफ कहा कि मैं आपकी इस सूचना का ना तो समर्थन कर सकता हूं और ना ही खंडन। उनके इस जवाब में भी कहीं ना कहीं नाराजगी दिख रही है। राजनीतिक हलकों में चर्चा को सही मानें तो उद्योग मंत्री एक-दो दिन में ही पुराने घर में लौट सकते हैं।
रजक एनडीए सरकार में दूसरी बार मंत्री बने हैं। पहली बार राजद से 1995 में विधायक बने थे। अब तक वह छह बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। जबसे संसदीय राजनीति में उन्होंने कदम रखा है, बहुत कम दिन मंत्री पद से अलग रहे हैं।
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