एसएम कृष्णा बोले- राजनीतिक भ्रष्टाचार की जड़ चुनावी भ्रष्टाचार में, बैन हो कॉरपोरेट फंडिंग  


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ ऑनलाइन। वयोवृद्ध राजनीतिज्ञ और पूर्व विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने चुनावों में कॉरपोरेट चंदे पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक भ्रष्टाचार को खत्म करने और देश में चुनावी प्रणाली को साफ करने की जरूरत है। करीब पांच दशक से चुनावी राजनीति को करीब से देखने वाले कृष्णा ने कहा कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार की जड़ राजनीतिक भ्रष्टाचार में है और राजनीतिक भ्रष्टाचार की जड़ चुनावी भ्रष्टाचार में है। 


कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमें चुनाव प्रणाली की सफाई करने की जरूरत है। इस संबंध में कुछ प्रक्रिया चल रही है। कुछ सुधार चल रहे हैं जो अभी शुरुआती दौर में है।' उन्होंने कहा, 'लेकिन मुझे खुशी है कि केंद्र में शीर्ष पर कोई राजनीतिक भ्रष्टाचार नहीं है। उसपर भ्रष्टाचार या भाई-भतीजावाद का एक भी आरोप नहीं है। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) स्वयं पूर्ण रूप से आरोपों से परे और ईमानदार हैं। यह बहुत ही सकारात्मक बदलाव है।'


महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल ने कहा, 'धीरे-धीरे स्थितियां सही हो रही हैं। ऐसी स्थिति पैदा होगी जब जनता उम्मीदवार को सत्ता या विपक्ष में रहने के दौरान पार्टी द्वारा किए गए प्रदर्शन के आधार पर चुनेगी।' उल्लेखनीय है कि करीब 45 साल तक कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद कृष्णा तीन साल पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार में तेजी लाने की जरूरत है और हमारा मानना है कि चुनाव लडऩे के लिए सरकार द्वारा धन मुहैया कराया जाना चाहिए और निजी चंदे पर पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए जिसका अभिप्राय कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले चंदे से है। 


उन्होंने कहा, 'हमें बहुत लंबा रास्ता तय करना है लेकिन मुझे विश्वास है कि हमारे पास स्वच्छ राजनीति होगी। मैं साफ-सुथरी राजनीति को उभरते हुए देख रहा हूं और चुनाव सुधार जरूरी हैं।' कृष्ण ने कहा, 'जबतक धनबल को खत्म नहीं किया जाता तबतक राजनीति साफ-सुथरी नहीं हो सकती। मेरा जोर धन बल को खत्म करने पर है, यह पहला कदम है जिसे हमें उठाना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'दूसरा, चुनाव के दौरान संप्रदाय या जाति के आधार पर मतदान की अपील को दंडनीय अपराध बनाया जाना चाहिए।'


राजनेताओं के सेवामुक्त होने की उम्र तय करने के सवाल पर 88 वर्षीय कृष्णा ने कहा कि राजनीति सरकारी नौकरी नहीं है जिसमें सेवामुक्त होने की उम्र तय की जाए। उन्होंने कहा कि उम्र के साथ परिपक्वता, ज्ञान और अनुभव आता है। कृष्णा ने कहा कि 81 साल की उम्र में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने और उन्होंने बेहतरीन काम किया। कृष्णा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी 74 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने, लाल कृष्ण आडवाणी 71 साल की उम्र में गृहमंत्री बने और उन्होंने बेहतरीन काम किया। 


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