इंदौर लगातार चौथे साल भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। केंद्र सरकार द्वारा किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजों में इंदौर को लगातार चौथे साल भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। सर्वेक्षण में दूसरा स्थान सूरत और तीसरा स्थान नवी मुंबई को मिला। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक समारोह में स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2020 की घोषणा की।


केंद्र सरकार के सालाना स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार चौथी बार अव्वल रहकर इंदौर ने देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का अपना प्रतिष्ठित खिताब बरकरार रखा है। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर की इस सिलसिलेवार सफलता में करीब 35 लाख नागरिकों की सहभागिता के साथ ही कचरा प्रबंधन के नवाचारों और वित्तीय रूप से टिकाऊ व्यवस्थाओं का भी बड़ा हाथ है। इस कामयाबी के बाद शहर भर में जश्न का माहौल है। खुशी से सराबोर सफाई कर्मियों ने सड़कों पर रंगोली बनाकर उत्सवी रंग बिखेरे। इन रंगोलियों में ‘इंदौर नंबर 1’ भी उकेरा गया था। इंदौर लोकसभा क्षेत्र के सांसद शंकर लालवानी ने ढोल की थाप पर महिला सफाई कर्मियों के साथ नाचकर खुशी जाहिर की। इस बीच, आईएमसी की आयुक्त प्रतिभा पाल ने एक सन्देश में कहा, ‘स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार चौथी बार अव्वल रहने के लिये मैं इंदौर के सभी जागरूक नागरिकों और जन प्रतिनिधियों को बधाई देती हूं। शहर के मेहनती सफाई कर्मी भी इस मौके पर बधाई के हकदार हैं जिन्होंने हर मौसम में शहर को साफ रखने के लिये जी-तोड़ मेहनत की है।’ इंदौर की इस कामयाबी की नींव में कचरा प्रबंधन और प्रसंस्करण की अलग-अलग योजनाएं हैं। आईएमसी के अधिकारियों ने बताया कि शहर में हर रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे का अलग-अलग तरीकों से सुरक्षित निपटारा करने की क्षमता विकसित की गयी है। इसमें 550 टन गीला कचरा और 650 टन सूखा कचरा शामिल है। उन्होंने बताया कि लगभग 8,500 सफाई कर्मी 3 पालियों में सुबह 6 बजे से तड़के 4 बजे तक लगातार काम करते हुए शहर को चकाचक रखते हैं। अधिकारियों ने बताया कि शहर से बड़ी कचरा पेटियां काफी पहले ही हटा दी गयी हैं और आईएमसी की करीब 700 गाड़ियों की मदद से तकरीबन हर घर एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। इस्तेमाल किये गये डाइपर और सैनिटरी नैपकिन जैसे जैव अपशिष्टों को कचरा संग्रहण गाड़ियों में अलग रखा जाता है ताकि इनका सुरक्षित निपटारा किया जा सके। शहर के सीवेज के शोधित पानी का करीब 12 प्रतिशत हिस्सा आईएमसी के 25 बगीचों में दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है। इंदौर, वर्ष 2017, 2018 और 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षणों में भी देश भर में अव्वल रहा था। 


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