ब्रिस्बेन। ऑस्ट्रेलिया में तैयार हो रहा कोरोना वायरस का टीका इंसानों पर कोई नकारात्मक असर नहीं डालता। क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के टीका निर्माता दल ने सफल रहे मानव परीक्षण की जानकारी देते हुए यह दावा किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि साल 2021 की शुरूआत तक वे टीके की ऐसी खुराक विकसित कर लेंगे जो आपात स्थिति में ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को दी जा सके।
यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और ऑस्ट्रेलियाई बायोटेक की दिग्गज कंपनी सीएचएल (कॉमनवेल्थ सिरम लेबोरेट्रीज)मिलकर यह वैक्सीन बना रहे हैं। वैज्ञानिकों ने ट्रायल वैक्सीन के इंसानों पर असर को समझने के लिए इसकी खुराक ब्रिस्बेन के 120 प्रतिभागियों को दी। इस मानव परीक्षण का अब तक इंसानों पर कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है। हालांकि शोधकर्ता केथ चैपल मानते हैं कि अभी और अधिक मानव परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है। क्वींसलैंड राज्य की राजधानी ब्रिस्बेन में यह परीक्षण हुआ।
जीवों में इंफ्लेमेशन रोकने में सफल यह टीका-
नीदरलैंड्स में इस टीके का परीक्षण यूरोपीय जीवों पर चला। प्रोजेक्ट के सहनेतृत्वकर्ता केथ चैपल ने बताया कि चूहों पर किया गया परीक्षण पूरी तरह सफल रहा। उन्होंने बताया कि पशु मॉडल में हमारी वैक्सीन से पैदा की गई प्रतिरक्षा बहुत अधिक थी, यह उन रोगियों से भी ज्यादा थी जिनके संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद उनमें एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन चूहों को टीका दिया गया, वे जब वायरस के संपर्क में आए तो उनके फेफड़ों में इंफ्लेमेशन कम थी। यह इंफ्लेमेशन ही शरीर के अंगों के काम न करने का मुख्य कारण है, जिससे रोगी की मौत हो जाती है।
आपातकाल टीका लाएंगे -
यह टीका अगले साल के मध्य तक तैयार हो पाएगा पर शोधदल का कहना है कि वे उससे पहले आपातकालीन समय में उपयोग के लिए एक टीका विकसित कर लेंगे जो अगले साल की शुरूआत में ही उपलब्ध हो जाएगा। सीएचएल बड़े पैमाने पर टीका बनाने की क्षमता रखती है।
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