कोरोना के इलाज में दो और दवाएं हो सकती हैं कारगर, रिसर्च में दावा


वाशिंगटन। एक नए अध्ययन में इस बात का पता चला है कि दो मौजूदा दवाएं कोरोना वायरस को मानव कोशिकाओं में जाने से रोकती हैं। पीएनएएस नामक जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार, इन दोनों दवाओं (वेकॉलिन-1 व एपिलिमॉड) को सालों पहले बनाया गया था। इन दोनों दवाओं की खासियत यह है कि यह एक बड़े एंजाइम जिसे पिकीफेव कीनेस कहा जाता है उस पर हमला करती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस अध्ययन से पहले कोरोना संक्रमण के फैलने में इस एंजाइम की भूमिका के बारे में बहुत कम जानकारी थी। इन दवाओं के असर का मानवीय परीक्षण होना बाकी है।


अमेरिका स्थित हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (एचएमएस) में प्रोफेसर और अध्ययन के सह लेखक टॉमस किर्चहाउसन ने कहा, निष्कर्षों से पता चलता है कि एक छोटे मॉलीक्यूल एंटी वायरल के माध्यम से इन एंजाइम पर हमला किया जाए तो कोरोना संक्रमण को रोके जाने में मदद मिल सकती है। किर्चहाउसन ने कहा, उन्होंने 16 साल पहले वेकॉलिन-1 की खोज की थी जबकि एपिलिमॉड को लाम थेरेप्यूटिक्स नामक कंपनी द्वारा विकसित किया गया था।


किर्चहाउस ने एचएमएस स्थित सेंटर फॉर एक्सीलेंस का हिस्सा रहे एसएआर व्हेलन की प्रयोगशाला में कोरोना वायरस के साथ सेल बायोलॉजी का अध्ययन किया। उन्होंने कहा, एक सप्ताह के अंदर हमें इस बात का पता चला कि एपिलिमॉड ने मानव कोशिकाओं में कोरोना संक्रमण को पहुंचने से रोकने में बहुत प्रभावी काम किया है। किर्चहाउसन का यह अध्ययन अप्रैल 2020 में बायोरेक्सिव प्री-प्रिंट वेबसाइट में भी प्रकाशित हो चुका है। इस अध्ययन में भी इबोला और कोरोना के खिलाफ एपिलिमॉड के प्रभाव को बताया गया था। एपिलिमॉड की तरह वेकॉलिन-1 भी वायरल संक्रमण को रोकने में बहुत असरदार है।


बता दें कि जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 2 करोड़ 18 लाख के पार पहुंच गई है, जबकि मंगलवार की सुबह तक  मौतों का आंकड़ा 7,72,000 था।


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