कोरोना से बचने के लिए घर में नमी को नियंत्रित करना जरूरी


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। भारत और जर्मनी के वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी और मास्क लगाने जैसे उपायों के साथ घर के भीतर ह्यूमिडिटी को नियंत्रित करना जरूरी है। दल में नयी दिल्ली स्थित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि महामारी को फैलने से रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है कि अस्पताल, कार्यालय या सार्वजनिक वाहन के भीतर वायु में आर्द्रता के मानक तय किए जाएं, क्योंकि ऐसी जगहों पर बहुत सारे लोग काम करते हैं। ‘एरोसोल एंड एयर क्वालिटी रिसर्च' नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में वैज्ञानिकों ने मुख्य रूप से सापेक्षिक आर्द्रता को अध्ययन का मुख्य आधार बनाया है। अध्ययन के अनुसार, 40 से 60 प्रतिशत ह्यूमिडिटी होने से वायरस का प्रसार कम होता है और सांस द्वारा नाक के माध्यम से भीतर जाने की आशंका भी कम होती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि बोलते समय मुंह से निकली पांच माइक्रोमीटर व्यास वाली बूंदें हवा में नौ मिनट तक तैर सकती हैं। जर्मनी के लिबनित्ज इंस्टिट्यूट फॉर ट्रोपोस्फरिक रिसर्च द्वारा प्रकाशित शोध पत्र के सह लेखक अजित अहलावत ने कहा कि एरोसोल अनुसंधान में हम बहुत पहले से जानते हैं कि वायु की आर्द्रता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। हवा में जितनी आर्द्रता होगी, उसके कणों से उतना अधिक पानी चिपका होगा, इसलिए वह तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए हम जानना चाहते थे कि इस पर कौन का अध्ययन हुआ है। वैज्ञानिकों के अनुसार, बूंदों में मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं पर आर्द्रता का प्रभाव पड़ता है। सतह पर मौजूद वायरस के जीवित रहने या निष्क्रिय होने को भी आर्द्रता प्रभावित करती है।


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