माफ कीजिए, हम इस ‘गैरजरूरी' याचिका पर विचार नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें भारत के पूर्व चीपु जस्टिस रंजन गोगोई के शीर्ष अदालत में जज के पद पर रहने के दौरान आचरण की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों के पैनल के गठन की मांग की गई थी। गोगोई अब राज्यसभा सदस्य हैं।


जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने उक्त जनहित याचिका को ‘गैरजरूरी' बताया और कहा कि याचिकाकर्ता ने बीते दो वर्ष में सुनवाई के लिए जोर नहीं दिया और वैसे भी जस्टिस (सेवानिवृत्त) गोगोई का कार्यकाल अब समाप्त हो चुका है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी भी पीठ का हिस्सा हैं। पीठ ने कहा, ‘बीते दो साल में आपने (याचिकाकर्ता) सुनवाई के लिए जोर क्यों नहीं दिया? उनका कार्यकाल अब समाप्त हो चुका है, इसलिए अब यह याचिका निरर्थक हो चुकी है।' याचिकाकर्ता अरुण रामचंद्र हुबलीकर ने याचिका में जस्टिस गोगोई के कार्यकाल में कथित ‘अनियमितताओं' की जांच करने की मांग की थी। हालांकि पीठ ने जवाब दिया, ‘माफ कीजिए, हम इस याचिका पर विचार नहीं कर सकते हैं।' याचिकाकर्ता ने पीठ के समक्ष दावा किया कि उन्होंने शीर्ष न्यायालय के महासचिव से मुलाकात कर याचिका को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। गोगोई पिछले वर्ष 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे।


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